भोजन पाने के लिए जॉब करने की ज़रूरत नहीं है

 भोजन पाने के लिए जॉब करने की ज़रूरत नहीं है।

#atmanirbharta_coach की डिस्कवरी 


इस्लाम धर्म की शिक्षा खाना देने की है और दूसरे धर्मों में भी यह शिक्षा है।

लोग किसी ग़रीब को मांगने पर खाना देंगे लेकिन हक़ीक़त यह है कि खाना माँगने की ज़रूरत नहीं है।

अल्लाह ने किसी एक इंसान को खाने पीने के लिए दूसरे इंसान पर निर्भर नहीं किया बल्कि अपने ऊपर निर्भर रखा है।

हमारे दिमाग़ में खाने के नाम पर नमक और मसाले पड़ा हुआ पका हुआ पालक आदि आता है जबकि पालक कच्चा भी खाया जाता है। पका हुआ पालक गुर्दे में पथरी पैदा करता है।

आप गूगल में highest orac value food लिखें। आपको मोरिंगा का नाम दिखेगा। मोरिंगा के एक मुठ्ठी पत्ते आपको वे सब पोषक तत्व देते हैं, जो आपको पके हुए भोजन से नहीं मिलते। उसके सामने मोरिंगा के पत्ते अमृत हैं।

मेरा दीन धर्म मुझे प्रकृति में विचार करने और बुद्धि से काम लेने को कहता है। 



मैंने विचार किया तो मुझे पता चला कि मैं बिना कोई जॉब किए मोरिंगा के पत्ते खाकर जीवित और ताक़तवर रह सकता हूँ।

ख़ास बात:

जो लोग बूढ़े हो रहे हैं, वे मोरिंगा के पत्तों की गोली खाएं।

#रोज़गार_का_आसान_तरीक़ा :

आप प्रकृति से लें और लोगों को दें।

बेरोज़गार लोग मोरिंगा टैबलेट्स बेचें।

हमें क़ीमती चीज़ प्रकृति खाने और बेचने के लिए मुफ़्त देती है।

इसके लिए रब का शुक्र करें।

इसी तरह कासनी और चौलाई के पत्ते खाए जाते हैं और ये भी मैदान में खड़े रहते हैं और इन्हें जानवर चरते हैं।

ऐसे ही ब्राह्मी और शंखपुष्पी मैदानों में आम खड़े रहते हैं। बबूल की फलियाँ भी खाई जाती हैं और ये सड़क के किनारे मुफ़्त मिलती हैं। चिरचिटे के पत्तों को खाया जा सकता है। गूलर और पीपल के फल और उनके नर्म मुलायम पत्ते कच्चे खाए जा सकते हैं। सड़क के किनारे अंजीर भी खड़ा रहता है लेकिन लोगों को पहचान नहीं होती। अंजीर हरा भी खाया जा सकता है।

भोजन पाने के लिए जॉब करने की ज़रूरत नहीं है। बात यह है कि इंसान हरे पत्तों को कच्चा खाना भूल गया है। इसलिए उसके दिमाग़ में नौकरी या ग़ुलामी या कोई मेहनत करके या लूट मार करके भोजन पाने का विचार जम चुका है।

हर तरफ़ परमेश्वर अल्लाह का लंगर जारी है और वह सबको मुफ़्त भोजन हर पल देता है।

#अल्लाहपैथी

#मिशनमौजले

#कहने_का_मक़सद

#हिकमत_की_ख़ास_बात

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