लेसिथिन से भरपूर काले तिल खाएं और पूरी मौज लें #mission_mauj_ley

दोस्तो, जब कभी आप अपने अंदर दिमाग़ी ताक़त की कमी महसूस करें तो काले तिल खाया करें। काले तिल खाकर आप पूरी मौज ले सकेंगे जो कि आपका नेचुरल मिशन है।
आप अपनी जेब में काले तिल रख लिया करें और थोड़ा थोड़ा खाते रहा करें क्योंकि दिमाग की बनावट में लैसिथीन 30% होता है जो कि काले तिल में भरपूर होता है। लेसिथिन नट्स और बीजों में ज़्यादा पाया जाता है। 

लेसिथिन एक फ़ैट जैसा पदार्थ है जो फ़ोस्फ़ोलिपिड के रूप में जाना जाता है। लेसिथिन इतना अहम पदार्थ है कि यह शरीर की हर एक कोशिका में होता है, लेकिन यह दिमाग़, दिल, लिवर और गुर्दे में ज़्यादा होता है। इसलिए काले तिल दिमाग़, दिल, लिवर और गुर्दों को भी ताक़त देता है और पूरी मौज लेनी है तो दिमाग़, दिल, लिवर और गुर्दों को ताक़त देनी पड़ेगी।

कोशिका झिल्ली, जो पोषक तत्वों को छोड़ने या सेल में प्रवेश करने की अनुमति देती हैं, काफी हद तक लेसिथिन से बनी होती हैं।
इसे रोज़ खाने से दिमाग की कोशिकाओं और मांसपेशियों को ताक़त मिलती है। तिल में विटामिन-बी कॉम्प्लैक्स व प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होते हैं। काले तिल बढ़ती उम्र के असर को भी कम करते हैं।

बाल संबंधी समस्या का ख़ात्मा

समय से पूर्व बाल सफेद होना, झड़ऩा, गंजेपन की समस्या में काले तिल का प्रयोग फायदा देता है। इससे बाल मुलायम, मजबूत और काले होते हैं क्योंकि इसमें बायोटिन होता है। यह विटामिन बी की फ़ैमिली का एक विटामिन होता है। शरीर इस विटामिन की मदद से पोषक तत्वों को एनर्जी में बदलता है।

जिन बच्चों या बड़ों को बार बार पेशाब आता हो, वे भी तिल खाएं। तिलों के लड्डू बनाकर भी खा सकते हैं। तिल में डाइट्री प्रोटीन और एमिनो एसिड मौजूद होते हैं जो बच्चों की हड्डियों के विकास को बढ़ावा देते हैं। तिल के तेल के अन्दर फास्फोरस होता है जो कि हड्डियों की मजबूती का अहम भूमिका अदा करता है। इसके अलावा यह मांस-पेशियों के लिए भी बहुत फायदेमंद है।

जो लोग वज़न कम करना चाहते हैं। वे खाना खाने के बाद सफ़ेद या काले तिल खाएं। इसमें #एचडीएल  #hdl यानी अच्छा कोलेस्ट्रॉल होता है। जो आपके बढ़े हुए वज़न को कम करता है। तिल में मोनो-सैचुरेटेड फैटी एसिड होता है जो शरीर से कोलेस्ट्रोल को कम करता है, जो दिल से जुड़ी बीमारियों के लिए भी बहुत फायदेमंद है। तिल की तासीर गर्म होती है। ठंड में तिल के सेवन से कफ व सूजन से भी राहत मिलती है। अगर आप तिल को अपने आहार मे शामिल करेंगे तो पायरीया, बहरापन, पीठ दर्द और हड्डियों की कमज़ोरी आदि बीमारियों की छुट्टी हो जाएगी।
एक रिसर्च के अनुसार ठंड में तिल व तिल के तेल का सेवन डायबिटीज के पेशेन्ट्स के लिए दवा का काम करता है।
आप अपने मिलने वाले लोगों में आर्थराइटिस की समस्या देखते हैं। आप उन्हें यह नुस्ख़ा बता सकते हैं।
तिल, सोंठ, मेथी और अश्वगंधा सभी को बराबर बराबर वज़न में लेकर चूर्ण बना लें। रोज़ सुबह इस चूर्ण के सेवन से आर्थराइटिस की समस्या कुछ माह में ठीक हो जाती है। दर्द हल्का है तो जल्दी ठीक हो जाएगा।

पुराने वक़्त में एक चोर अपनी जेब में तिल लेकर किसी हवेली में शाम के वक़्त कहीं छिपकर बैठ जाता था और रात को 3-4 बजे नींद गहरी होती थी, तब वह हवेली का दरवाज़ा खोलकर अपने दूसरे साथियों को अंदर बुला लेता था। इस बीच वह खाने और पानी, दोनों की ज़रूरत तिल खाकर पूरी करता था। उसे तिल खाने के वजह से बार बार पेशाब के लिए नहीं जाना पड़ता था। इस तरह वह ख़ुद को छिपा लेता था।
सही बात यह है कि इल्मो हिकमत के बिना आदमी कोई भी काम ढंग से नहीं कर सकता, न अच्छा और न बुरा। इसलिए इल्म और हिकमत सीखो और भलाई के काम करो।

कील मुहाँसे के लिए फायदेमंद
तिल को पीस कर मक्खन के साथ मिला कर नियमित रूप से चेहरे पर लगाने से रंग निखरता है और चेहरे के कील मुँहासे भी समाप्त होते है। 
चोट पर लगाएं
किसी भी प्रकार की चोट में तिल के तेल का फाहा रख कर पट्टी बाँधने से शीघ्र लाभ होता है।

#mission_mauj_ley के अनुसार
ख़ास बात नंबर 1
तिल व मिश्री को पानी में उबाल कर पिएँ। सूखी खाँसी दूर हो जाएगी।

ख़ास बात नंबर 2
बायोटिन का बाल, खाल और नाख़ून को हैल्दी रखने में बहुत अहम रोल है। आजकल बहुत लोग बाल झड़ने से परेशान हैं। वे काले तिल खाएं और काले तिलों का तेल ख़ुद निकलवाकर अपने सिर के बालों में लगाएं।

#मिशनमौजले ने आपको इतनी बढ़िया जानकारी दी है कि आप आत्म निर्भर बनने के लिए इससे झड़ते बालों का तेल बनाकर माल भी कमा सकते हैं।

ख़ास बात नंबर 3
तिल को अरबी में सिम सिम कहते हैं। आपने अलीबाबा और चालीस चोर की कहानी में ख़ज़ाने की गुफ़ा का दरवाज़ा खोलने का मंत्र 'खुल जा सिम सिम' पढ़ा है जिसका अर्थ है खुल जा तिल तिल यानी थोड़ा थोड़ा खुल जा।
हक़ीक़त में यह एक सिंबॉलिक कहानी है। इसमें आपको यह समझाया गया है कि आपके दिल के अंदर इल्म का बड़ा ख़ज़ाना मौजूद है। जब आप कोई हुनर (skill) सीखने के लिए प्रैक्टिस करते हैं। जिसके ज़रिए आपके दिल का इल्म आपके हुनर के ज़रिए ज़ाहिर होता है तो रोज़ आपका विकास थोड़ा-थोड़ा होता है यानी ख़ज़ाने का वह दरवाज़ा रोज़ थोड़ा थोड़ा खुलता है। फिर जब आप उस हुनर को सीख लेते हैं तो वह दरवाज़ा पूरा खुल जाता है और उस हुनर से आप दुनिया की दौलत कमाते हैं।

यही क़ुदरत का अमल है। आप देखते हैं कि कोई पौधा हो या कोई बच्चा, दोनों थोड़ा-थोड़ा करके बढ़ते हैं जिसे हम तिल तिल करके बढ़ना कहते हैं।

दिल का इल्म आपका असल ख़ज़ाना है। उसी इल्म से आप दुनिया की दौलत कमाते हैं। जब भी आपको दुनिया की दौलत की ज़रूरत पड़े तो आप कोई नया इल्म हासिल करें और फिर उससे लोगों को फ़ायदा पहुंचाएं। आपके पास दौलत आएगी। आपको रोज़ी भरपूर मिलेगी।
इन् शा अल्लाह!

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