तुरंत कमाई शुरू करें, वेद, बाइबिल और क़ुरआन की समान शिक्षाओं से आत्मनिर्भर बनने का कम्पलीट कोर्स ऑनलाइन बिल्कुल मुफ़्त -Dr. Anwar Jamal

 Part 1

आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी रहमतुल्लाहि अलैह ने अपनी बुक में वेद, बाइबिल और क़ुरआन के समान सूत्र (कलिमा ए सवा) से सिखाया है धार्मिक सद्-भावना बढ़ाना।

अब हम बेरोजगारों और ग़रीबों को वेद, बाइबिल और क़ुरआन के समान सूत्र (कलिमा ए सवा) से सिखाएंगे कमाना और दौलत बढ़ाना।।

वेद, बाइबिल और क़ुरआन के समान सूत्र (कलिमा ए सवा) से रोज़ी कमाना एक नया और अनोखा आयडिया है,

अल्हम्दुलिल्लाह!

Part 2

आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी रहमतुल्लाहि अलैह ने जब WORK के दाईयों की रोज़ी रोटी के बारे में विचार किया तो उन्होंने खेती को पसंद किया।

उन्हें ऐसा कोई आदमी नहीं मिला जो इतनी ज़मीन मिशन को दान करता और किसी ने ज़मीन दी भी नहीं। सो वर्क का हरेक कल्याणकारी कार्यकर्ता अपनी रोज़ी रोटी का इंतेज़ाम ख़ुद करता था।

मौलाना का विचार यह था कि वेद, बाइबिल और क़ुरआन के समान सूत्र (समान मंत्र, कलिमा ए सवा) को सब धर्म के लोगों के सामने लाया जाए ताकि उनमें आपसी सद्भाव बढ़े और भारत विश्वगुरू बने।

मैं 30 साल तक भारत को विश्वगुरू बनाने के लिए विभिन्न माध्यमों से विश्व भर को समान सूत्र पर लेक्चर और उपदेश देता रहा। भारत तो विश्वगुरू न बना, मैं ख़ुद विश्वगुरू बन गया।

अल्हम्दुलिल्लाह!

अब आप विश्वगुरू बनेंगे इन् शा अल्लाह!

इसीलिए यह ओपन यूनिवर्सिटी खोली गई है, जो आत्मनिर्भरता का सब्जेक्ट मुफ़्त में पढ़ाने वाली पहली यूनिवर्सिटी है।

पवित्र क़ुरआन की वह आयत यह है, जिसमें समान सूत्र (common ground) का ज़िक्र है:

कहो, "ऐ किताबवालो! आओ एक ऐसी बात की ओर जिसे हमारे और तुम्हारे बीच समान मान्यता प्राप्त है; यह कि हम परमेश्वर के अतिरिक्त किसी की बन्दगी न करें और न उसके साथ किसी चीज़ को साझी ठहराएँ और न परस्पर हममें से कोई एक-दूसरे को परमेश्वर से हटकर रब बनाए।" फिर यदि वे मुँह मोड़ें तो कह दो, "गवाह रहो, हम तो समर्पित आज्ञाकारी (मुस्लिम) हैं।"

-पवित्र क़ुरआन

जब हम इस आयत की रौशनी में देखते हैं तो तौहीद के अलावा भी कई बातें वेद बाइबिल और क़ुरआन में समान है।

मिसाल के तौर पर वेद, बाइबिल और क़ुरआन में कल्याणकारी पेड़-पौधों का ज़िक्र समान रूप से आया है।

हर आदमी अपने घर में एक दो पौधे लगाता है। जो लोग समझदार हैं और दिल्ली जैसे शहर में रहते हैं, जहाँ हवा ज़हरीली है। वे लोग अपने कमरों में ऐसे पौधे लगाते हैं, जो कमरे में पनप जाते हैं और कमरे का आक्सीजन लेवल साफ़ करते हैं और ज़हरीली हवा को साफ़ करते हैं।

आत्मनिर्भरता का कांसेप्ट

इन पेड़ पौधों को घर के आंगन में या घर की छत पर हरेक थोड़ी मिट्टी में तैयार कर सकता है और इन्हें हर धर्म के लोगों को यह कहकर बेच सकता है कि धर्म और विज्ञान दोनों इन पेड़ पौधों को कल्याणकारी बताते हैं। इसलिए तुम इन्हें अपने घर में लगाओ और पूरी मौज लो।

अब आगे की क़िस्त में हम आपको समान सूत्र के आधार पर यह बताएंगे कि

मुफ़्त में बीज कैसे हासिल करें और कौन से पौधे  तैयार करें, जिन्हें मनुष्य श्रृद्धा और ख़ुशी के साथ लेगा।

ताकि हल्दी लगे न फिटकरी और रंग आए चोखा।

मैं आत्मनिर्भरता के सब्जेक्ट पर समाज की सबसे पिछली लाईन के आदमी को सामने रखकर लिखता हूँ, जो सड़क के किनारे सोता है। जो समझता है कि उसके पास शक्ति और साधन नहीं हैं। जबकि उसकी शक्ति उसके अंदर है और सड़क दुनिया का सबसे बड़ा साधन है। वह सड़क पर क़ब्ज़ा जमाए बैठा है।

हमारे समाज का सबसे कमज़ोर आदमी दुनिया के सबसे बड़े साधन पर क़ब्ज़ा जमाए बैठा है। हमें उसे उसका सकारात्मक और रचनात्मक इस्तेमाल सिखाना होगा। इसके हमें अपने नज़रिए में बदलाव लाना होगा। हमें अपने सामने मौजूद मौकों और डिमांड को पहचानना होगा।

हमें अपने चारों तरफ़ मौजूद लोगों की आस्था और भावना पहचानना होगा। अनेकता में एकता को पहचानने से रोज़ी की समस्या भी हल होती है।

कैसे होती है?

यह हम अगली क़िस्त में बताएंगे।

इन् शा #अल्लाह

Part 3

हमें अपने चारों तरफ़ मौजूद लोगों की आस्था और भावना को पहचानना होगा। अनेकता में एकता को पहचानने से रोज़ी की समस्या भी हल होती है।

कैसे होती है?

जैसे कि हम रोज़ी के एंगल से समान सूत्र पहचानें तो वेद में काली तुलसी का ज़िक्र मिलता है और क़ुरआन मजीद में रीहान का। आम तौर से सब ख़ुश्बूदार पौधे रीहान कहलाते हैं और जब हम अरबी हकीमों की डिक्शनरी देखते हैं तो उसमें सिर्फ़ तुलसी को रीहान कहा गया है। तुलसी एक अच्छा ख़ुश्बूदार पौधा होता है। रब ने क़ुरआन में नेक लोगों को अपने वरदानों में एक वरदान यह बताया है कि उन्हें जन्नत में रीहान मिलेगा। 

हमेशा से ख़ुशबूदार पौधे आम आदमियों के आँगन से लेकर बादशाहों के महल तक पाए जाते थे। मैंने अपने बचपन में अपने रिश्तेदारों का कोई घर ऐसा नहीं देखा जिसमें कोई ख़ुशबूदार पौधा न हो। आज 'अरोमा थेरेपी'  ख़ुश्बू से बीमार इंसान की हीलिंग करती है। हीलिंग के पहलू से देखें तो तुलसी एक बहुत ज़्यादा पावरफ़ुल पौधा है। #aromatherapy में भी तुलसी ( #basil) का इस्तेमाल होता है।

1. इसके आयुर्वेदिक नुस्खों में एक यह है कि अपनी स्वाभाविक ख़ुश्बू  होने के करण तुलसी सांसों की बदबू का नाश करती है। साँसों की दुर्गन्ध ज़्यादातर पाचन शक्ति कमज़ोर हो जाने के कारण होती है | तुलसी अपने दीपन और पाचन गुण के कारण साँसों की दुर्गन्ध को दूर करने में सहायक होती है | 

2. आजकल बुख़ार से बड़े और बच्चों की मौतें होने से डर है। तुलसी हर तरह के बुख़ार का अच्छा इलाज है। तुलसी के पौधे से 7 तुलसी के पत्ते और 5 लौंग लेकर एक गिलास पानी में पकाएं। तुलसी के पत्ते और लौंग को पानी में डालने से पहले टुकड़े कर लें। पानी पकाकर जब आधा बाक़ी रह जाय, तब थोड़ा सा सेंधानमक डालकर गर्म-गर्म पी जाएं। यह काढ़ा पीकर कुछ वक़्त के लिए चादर ओढ़कर पसीना ले लें। पंखा या कूलर न चलाएं। इससे बुख़ार तुरन्त उतर जाता है और सर्दी, जुकाम व खांसी भी ठीक हो जाती है। इस काढ़े को दिन में दो बार दो तीन दिन तक ले सकते हैं। छोटे बच्चों को सर्दी जुकाम होने पर तुलसी व 5-7 बूंद अदरक रस में शहद मिलाकर चटाने से बच्चों का कफ़, सर्दी, ज़ुकाम, ठीक हो जाता है। दूध पीते बच्चों को यह कम मात्रा में दें।

3. तुलसी का पूरा पेड़ जड़ सहित लेकर उसकी मिट्टी धो लीजिए धोने के बाद इसे छोटे-छोटे काटकर कूट ले|अब इसमें आधा लीटर पानी तथा आधा लीटर तिल का तेल मिलाकर धीमे आँच में पकने दें,जब पानी खत्म हो जाये तो बचे हुए तेल को छानकर रख लेवें| यही तुलसी का तेल है| तुलसी का तेल लगाने से डैंड्रफ, जूं व लीखों की समस्या बिल्कुल ख़त्म हो जाती है। तुलसी में एंटी बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण होते हैं। रोजाना के तेल में तुलसी मिलाकर लगाने से स्कैल्प को पोषण मिलता है और रूखापन दूर होता है। इससे स्कैल्प में रक्त संचार बढ़ता है और बालों का झड़ना कम हो जाता है। तुलसी का तेल लगाने से बाल जड़ों से मजबूत होते जाते हैं। बालों का झड़ना कम होता है।

4. तुलसी के नियमित प्रयोग से वातरक्त यानी बढ़े हुए यूरिक एसिड के स्तर में सुधार होता है।

5. तुलसी के बीज औरतों में माहवारी की अनियमितता को और गर्भधारण की समस्या को दूर करते हैं। 5-5 ग्राम तुलसी के बीज ताज़ा पानी से दो समय लें।

6. तुलसी के बीज मर्दों की कमज़ोरी को भी दूर करते हैं।

तुलसी बहुत सी बीमारियों में फ़ायदा देती है। वैदिक धर्म के लोगों में तुलसी के प्रति श्रृद्धा पाई जाती है। आप तुलसी के पौधे बेचकर अपनी रोज़ी कमा सकते हैं। 

मैंने कई जगह तुलसी के पौधों से क्यारी भरी देखी है। ऐसी जगह से आपको तुलसी के बीज और पौधे मुफ़्त मिल सकते हैं। आपको मिट्टी और गोबर मुफ़्त मिल जाएगा। आप अपने घर में आने वाले प्लास्टिक के डिब्बों और पालिथीन में मिट्टी डालकर तुलसी के बीजों से मुफ़्त में तुलसी के पौधे उगाकर कैश बेच सकते हैं।

अगर एक आदमी सड़क के किनारे रहता और सोता है तो वह सड़क के किनारे भी तुलसी के पौधे उगा सकता है। अगर वह उस जगह तुलसी आश्रम का बोर्ड लगा दे तो  सरकारी अधिकारी भी उसके रचनात्मक कामों की सराहना करेंगे और जल्दी ही लोगों की श्रृद्धा से उस जगह उसका कमरा ख़ुद तैयार हो जाएगा।

यह दुख की बात है कि देश में तुलसी है और सड़क के किनारे जगह ख़ाली पड़ी है और फिर भी लोग बुख़ार और खाँसी से मर रहे हैं। हम हर घर में तुलसी का पौधा पहुंचा दें और सबको उसकी हीलिंग प्रॉपर्टी बता दें तो हम इन‌ मौतों को कम कर सकते हैं। यक़ीनन तुलसी यानी रीहान रब का वरदान है।

अगर आप पढ़े लिखे हैं तो आप बात मानने वाले 11 लोगों की एक एनजीओ बनाकर ख़ुद उसके स्वयंभू अध्यक्ष बन जाएं और तुलसी के पौधे हर मौहल्ले में जाकर मुफ़्त बाँटने लगें। गाड़ी में पौधों के साथ एक दानपात्र भी रख दें। हरेक अपनी श्रृद्धा के अनुसार 11, 21 या 51 रूपए डाल देगा।

मैं तुलसी का पौधा मुफ़्त देता तो मैं लोगों को तुलसी देने से पहले इसके फायदों पर रिकॉर्ड किया हुआ पूरा व्याख्यान स्पीकर पर सुनवाता। उसमें बीच बीच में तुलसी को फैलाने में आर्थिक सहयोग देने वाली महान औरतों को सदा सुहागन रहने, पुत्रवती होने और मन की मुराद पाने की दुआएं भी मुक्त कंठ से देता। दुआएं सुनकर औरतों को बहुत ख़ुशी और तसल्ली मिलती है और फिर वे भी अपनी तरफ़ से सहयोग देती हैं। जिस मिशन को औरतों का सहयोग मिल जाता है। वह सफल हो जाता है और उस आंदोलन के अध्यक्ष के घर दौलत का ढेर लग जाता है। जिस मिशन में औरतें जुड़ती हैं, उसमें उनके मर्द ख़ुद उनके कारण जुड़ जाते हैं।

हमारे देश की औरतें अपने साथ कुछ बुरा होने की आशंका से डरी हुई हैं। आप तुलसी देकर उन्हें भविष्य के प्रति आश्वस्त करते हैं। आप उन्हें तुलसी के रूप में सेहत और सलामती का वरदान और दुआ देते हैं।

तुलसी के पौधे बांटने को एक मिशन बनाएं और इसे एक आंदोलन की तरह चलाएं। अपने आंदोलन में लोगों से जायज़ तरीक़े से आर्थिक सहयोग लें और जायज़ तरीक़े से पूरी मौज लें।

हम समान सूत्र से पाक रोज़ी कमाने की तालीम की अगली क़िस्त में बताएंगे कि मुस्लिम मौहल्लों में किस पौधे की बिक्री ज़्यादा हो सकती है और कैसे?

इन् शा #अल्लाह

Part 4

आप जानते हैं कि नये भारत का निर्माण किया जा रहा है। आप यह भी जान लें कि नये भारत में तुलसी का विशेष महत्व होगा क्योंकि प्राचीन भारत में भी तुलसी का विशेष महत्व था और नए भारत में प्राचीन भारतीय संस्कृति को विशेष महत्व दिया जा रहा है।

इससे आप समझ सकते हैं कि नए भारत में तुलसी और तुलसी से बनी चीज़ों के प्रति विशेष आकर्षण है।

आप तुलसी के फ़ायदों के बारे में ख़ूबसूरत कलर्ड पम्फ़लेट और पत्रक छपवा कर‌ बाँटें।

नौजवान लड़के लड़कियों को साथ लेकर तुलसी के फ़ायदों की जानकारी शार्ट वीडियो में दें।

यूट्यूब पर तुलसी के बारे में अपना चैनल बना लें। 

आप blogger.com पर तुलसी पर एक ब्लाग और फ़ेसबुक पर अकाऊंट और पेज बना लें।

सब जगह दानपात्र ज़रूर लगाएं।

जब आप तुलसी के काम में अच्छी तरह क़दम जमा लें, तब आप तुलसी के प्रोडक्ट्स तैयार करें जैसे कि

1. तुलसी की माला

2. तुलसी के पत्तों का चूर्ण

3. तुलसी का रस

4. तुलसी का अर्क़

5. तुलसी का तेल

6. तुलसी का परफ़्यूम

7. तुलसी क्रीम

8. तुलसी मरहम

9. तुलसी साबुन

10. तुलसी बाडी लोशन

11. तुलसी जैल

12. तुलसी हर्बल चाय

13. तुलसी टूथपेस्ट और

14. तुलसी के बीज 

आप तुलसी के पौधै और प्रोडक्ट्स समाज के शक्तिशाली लोगों को भेंट करें। जब आप मंत्री, सांसद, विधायक, डीएम, एसएसपी, कोतवाल, व्यापार मंडल के अध्यक्ष और धर्मगुरूओं को तुलसी, तुलसी प्रोडक्ट्स और तुलसी साहित्य भेंट करें तो अपने ख़ास मददगार से उनके फ़ोटो और वीडियो ज़रूर बनवाएं। फिर आप इन्हें अपने ब्लाग, अकाऊंट और यूट्यूब चैनल पर ज़रूर दिखाएं। इससे समाज में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी। आप किसी दिन सीएम और पीएम को भी जाकर अपने सकारात्मक कामों की जानकारी दें कि आप किस तरह उनके नए भारत के निर्माण में उन्हें सहयोग दे रहे हैं। इसे सुनकर वे यक़ीनन ख़ूश होंगे और आपके मांगने पर वे आपको तुलसी के पौधे उगाने के लिए कुछ ज़मीन भी दे सकते हैं और वे वन विभाग और कृषि विभाग को आपकी मदद के लिए आदेश भी कर देंगे।

वृक्षारोपण पीएम और सीएम महोदय की महात्वाकांक्षी योजना है और आप उनकी योजना को ही आगे बढ़ा रहे हैं। वे भी आपको आगे ज़रूर बढ़ाएंगे।

अपने चेहरे के लुक और लिबास का ख़ास ध्यान रखें। आप अपने चेहरे का लुक ऐसा रखें जो हरेक दीन धर्म के लोगों में चल जाए। जब आप तुलसी बाँटने या बेचने के लिए निकलें तो आप वैसे कपड़े और जूते पहनें, जैसे मोदी जी देश में निवेश करने वालों की तलाश में विदेश जाते वक़्त पहनते हैं। मोदी जी को चाहे विदेश में निवेशक न मिला हो लेकिन फिर भी उनकी पार्टी को सबसे ज़्यादा चंदा ज़रूर मिला है। आप जितने अच्छे कपड़े और जूते पहनेंगे, आपको लोगों से आर्थिक अनुदान उतना ज़्यादा मिलेगा। हमेशा से लोग दूसरों के कपड़े देखकर उनकी हैसियत पहचानते आए हैं और लोग अच्छी हैसियत वालों को‌ ज़्यादा माल देते हैं।

आपके पास अच्छे क़ीमती कपड़े न हों तो संडे मंडे की पैठ से मास्क लगाकर पुराने विदेशी कपड़े सस्ते में ख़रीद लें और ज़रूरत पड़े तो उन्हें किसी टेलर से अपने नाप का बनवा लें। मास्क की वजह से कोई आपको पहचानेगा भी नहीं।

कोरोना का डर आम होने से पहले की बात है। मेरे एक मित्र वैद्य ने मेरी सलाह पर यूट्यूब पर वीडियो अपलोड करने शुरू किए। वह रोज़ एक ही ड्रेस में वीडियो तैयार कर देते। मैंने उनसे कहा कि आप चार पाँच सूट में वीडियो तैयार किया करें। वह बोले कि मेरे पास बस एक ही पैंट कोट है।

मैंने कहा कि आप मंडे की पैठ से ख़रीद लाओ।

वह बोले कि मैं मंडे बाज़ार के कपड़े नहीं पहनता।

मैंने समझाया कि बड़े बड़े हीरो शूटिंग के वक़्त किराए के कपड़े पहनते हैं। आप उन कपड़ों को सिर्फ़ शूटिंग के वक़्त पहन लें ताकि देखने वालों को वीडियो में वैरायटी और रिचनेस नज़र आए। आप उन्हें शूटिंग के बाद मत पहनना।

तब उनकी समझ में बात आ गई और वह बोले कि आप दिलवा दो तो आपकी बड़ी कृपा होगी।

मैंने उन्हें शाम के टाईम दुकान‌ समेटने के वक़्त मंडे की हफ़्तावारी पैठ से 50-50 रूपए के तीन चार कोट दिलवा दिए। जिनसे उन्होंने वीडियो तैयार करने में मदद ली। वे अब वीडियो में अच्छे दिख रहे थे।

दुनिया का यह क़ानून है कि

'...जिसके पास है उसे और भी दिया जायेगा और जिसके पास नहीं है, उससे जो उसके पास दिखाई देता है, वह भी ले लिया जायेगा।'

बाइबिल, मत्ती 4:18 में ईसा मसीह अलैहिस्सलाम ने इस क़ानून को समझाया है।

यह सृष्टि नियम है। इसलिए यह नियम नए भारत में भी लागू रहेगा।

नए भारत में बाक़ी और ग़ालिब रहने के लिए आप आत्मनिर्भर और दौलतमंद बनें।

आप तुलसी मिशन के ज़रिए आत्म निर्भर और दौलतमंद बन सकते हैं।

अल्हम्दुलिल्लाह!

हम समान सूत्र से पाक रोज़ी कमाने की तालीम की अगली क़िस्त में बताएंगे कि मुस्लिम मौहल्लों में किस पौधे की बिक्री ज़्यादा हो सकती है और कैसे?

इन् शा #अल्लाह

Part 5

आत्मनिर्भरता की शिक्षा में आज हम आपको मुस्लिम मौहल्लों में पौधे बेचना और बाँटना सिखाएंगे।

आप जानते हैं कि मुस्लिम पवित्र क़ुरआन और हदीस में आस्था रखते हैं। क़ुरआन में रब की ख़ास नेमत के रूप में रीहान का बयान आया है:

وَالْحَبُّ ذُو الْعَصْفِ وَالرَّيْحَانُ

और अनाज जिसके साथ भुस होता है और ख़ुशबूदार फूल।

-पवित्र क़ुरआन 55:12

पवित्र क़ुरआन में हवा को रीह कहा गया है और अरबी भाषा में रीहान उन पौधों को कहा जाता है जो रीह यानी हवा को ताज़ा और ख़ुश्बूदार बनाते हैं। पवित्र क़ुरआन में रीहान शब्द इसी अर्थ में आया है।

हर इलाके में अलग अलग ख़ुश्बूदार पौधे होते हैं। वे सब रीहान में आते हैं जैसे कि गुलाब, तुलसी और छोटी इलायची आदि सब रीहान हैं। अरब हकीमों की डिक्शनरी में हर ख़ुश्बूदार पौधे को नहीं बल्कि सिर्फ़ तुलसी को रीहान कहा गया है। आप इस ख़ास बात को बहुत अच्छी तरह समझ लें ताकि कोई आपसे बेजा हील हुज्जत न करे।

जब दूसरे लोग आप पर यह साबित करें कि पवित्र क़ुरआन में तुलसी को नहीं बल्कि सब खुशबूदार पौधों को रीहान कहा गया है तो आप तुरंत उनकी बात मान लें और उन्हें दुआएं दें। आप उनके इल्म और उनकी समझदारी की तारीफ़ करें। इससे उनके अंदर आपसे डिबेट करने का जज़्बा कमज़ोर पड़ जाएगा। इसके बाद आप उन्हें बताना चाहें तो बता दें कि तुलसी भी एक ख़ुश्बूदार पौधा है और यह भी रीहान कहलाने का हक़दार है। इसके बाद आप उन्हें बता दें कि जब हम रीहान से मुराद तुलसी लेते हैं तो हम यूनानी पद्धति के चिकित्सक हकीमों की डिक्शनरी की बुनियाद पर ऐसा कहते हैं। लोग समझ जाएं तो ठीक है वर्ना आप उनसे बहस न करें।

क्योंकि मक़सद रोज़ी कमाना है, गली मौहल्लों में डिबेट करना नहीं है। मैंने बचपन से अपने घर के आँगन की क्यारियों में सुर्ख़, गुलाबी, सफ़ेद और पीला कई तरह का गुलाब देखा लेकिन तुलसी कभी नहीं देखी। जब मैंने यूनानी मेडिसिन, आयुर्वेद ओर नेचुरोपैथी की किताबें पढ़ीं, तब मैं तुलसी के पत्ते और बीज इस्तेमाल करने लगा। तब मैंने एक गमले में तुलसी का पौधा अपने आँगन में लगाया।

यह बात बताने का मक़सद यह है कि आप मुस्लिम मौहल्लों में तुलसी का पौधा बेचकर रोज़ी कमाने में सफल नहीं हो सकते क्योंकि उनमें तुलसी की तरफ़ अट्रैक्शन कम है। वे तुलसी की उन उम्दा ख़ूबियों से भी वाक़िफ़ नहीं हैं, जो अरब, ईरान और हिंद के हमारे बुज़ुर्ग हकीम अपनी किताबों में लिखकर गए हैं। अगर आप मुस्लिमों को अकेले तुलसी के फ़ायदों के बारे में जागरूक करेंगे तो आपका ज़्यादा वक़्त उन्हें जागरूक करने में गुज़र जाएगा और फिर भी तुलसी का पौधा मुस्लिम कम ख़रीदेंगे।

ज़्यादा प्रोफ़िट के लिए ज़्यादा सेल ज़रूरी है। ज़्यादा सेल उस चीज़ को बेचकर होती है, जिसके प्रति लोग ख़ुद आकर्षित हों। मुस्लिम गुलाब और दूसरे ख़ुश्बूदार पौधे लगाते हैं। इसलिए आप मुस्लिम मौहल्लों में गुलाब और गुले दाऊदी जैसे पौधे बेचें। आप इनके साथ तुलसी भी ज़रूर रखें ताकि जो लोग तुलसी के फ़ायदे जानते हैं, वे उसे ले सकें।

यह हिकमत का सबसे पहला दर्जा है। जिससे फ़ायदा उठाकर आप आत्म निर्भर हो सकते हैं।

अगर इससे ज़्यादा हिकमत इस्तेमाल की जाए तो और ज़्यादा माल कमाया जा सकता है।

जैसे कि मैं सूरह रहमान की आयत नंबर 12 पढ़ रहा था, जिसका ज़िक्र ऊपर आया है तो मेरे मन में यह ख़याल आया कि अल्लाह ने अनाज और ख़ुश्बूदार पौधों का ज़िक्र एक साथ करके एक बहुत उम्दा नुस्ख़ा  बता दिया है। अगर अनाज और ख़ुश्बू को जमा करके खाया जाए तो पेट और आँतों से वह सबसे ख़तरनाक ज़हर निकल जाएगा, जो पेट और आंतों से चिपटा रहता है और वह रस व रक्त को ज़हरीला बनाता रहता है। अगर आपकी साँसों से बदबू आती है तो यह आपके पेट में सड़न का लक्षण है।

क़ुरआन की आयत के बेस पर तैयार शिफ़ाबख़्श (आरोग्यकारी) नुस्ख़ा

एक प्याले में 30 ग्राम जौ या जई (oats) का दलिया लें। उसमें 10 ग्राम गुलाब की ताज़ा या सूखी पंखुड़ियाँ और 5-7 तुलसी के पत्ते डालें। 2-3 छोटी इलायची लें और उनका मुंह खोलकर उनके सारे बीज निकालकर दलिए में मिला दें। फिर उसमें थोड़ा सा पानी डालकर आधा या एक घंटा उसे फूलने के लिए छोड़ दें। फिर उसमें ज़रूरत के मुताबिक़ दूध डालकर उसे हल्की आँच पर पकाएं। पकने के बाद उसे चूल्हे से उतार लें। जब वह खाने लायक़ हल्का गर्म रह जाए, तब उसमें ज़रूरत के मुताबिक़ असली शहद मिलाकर खाएं।

आप सिर्फ़ 3 दिन रात का खाना खाने के बजाय यह लज़ीज़ ख़ुश्बूदार डिश खाएँ। इसे खाने के बाद आपकी साँसों से तो क्या आपके पाद से भी ख़ुश्बू आएगी,

इन् शा अल्लाह।

यह लज़ीज़ नुस्ख़ा क़ब्ज़ का ख़ात्मा करेगा। यह बढ़े हुए वज़न को कम करेगा। यह पेट और आँतो से लिपटे हुए ज़हर को कम करेगा। यह गुर्दों और फेफड़ों को ताक़त देगा। यह आपका तनाव मिटाएगा। इसे खाने के बाद आपको अपने अंदर ताज़गी और ख़ुशी का एहसास होगा।

इन् शा अल्लाह।

जो लोग इस तरीक़े से ज़्यादा आसान तरीक़ा चाहते हैं और उन्हें डायबिटीज़ नहीं है। वे ज़रूरत के मुताबिक़  जौ या #ओट्स में तुलसी के पत्ते और छोटी इलायची डालकर हल्की आँच पर दूध में पकाएं। उसे चूल्हे से उतारकर उसमें 2 चम्मच अच्छी क्वालिटी का गुलक़ंद मिक्स करके रख दें। जब वह खाने लायक़ हल्का गर्म रह जाए, तब उसे ज़ायक़ा लेकर खा लें।

जो डायबिटीज़ का मरीज़ हो, वह शहद और गुलक़ंद न डाले। वह दलिया, तुलसी, गुलाब और इलायची को ही दूध में पकाए। अब वह उसे मीठा करना चाहे तो सेब, अंगूर या ख़रबूज़ा के छोटे छोटे टुकड़े काटकर मिक्स कर ले वर्ना वह उसे फीका ही खा ले। डायबिटीज़ का मरीज़ ये फल खा सकता है। इनसे उसे फाइबर मिलता है जिससे ब्लड शुगर नियंत्रित रहती है। इस उम्दा नुस्ख़े के फ़ायदे इतने ज़्यादा हैं कि इस छोटे से लेख में वे सब नहीं बताए जा सकते।

जब आप गुलाब और तुलसी आदि पौधे बेचने निकलें तो जौ और ओट्स के पैकेट, असली शहद और गुलक़ंद के डिब्बे भी साथ रख लें। आपसे जितने लोग पौधे ख़रीदेंगे, उससे ज़्यादा लोग आपसे क़ब्ज़ और बदबू दूर करने के लिए दलिया, शहद और गुलक़ंद ख़रीदेंगे। इसके लिए आप अपनी गाड़ी से एक रिकार्ड किया हुआ लेक्चर या ख़ुत्बा सबको सुनवाएं, जिसे हम ख़ुत्बा ए रीहान कहेंगे।

ख़ुत्बा ए रीहान की खूबी यह है कि आप इसे मस्जिद के मिंबर से सुना सकते हैं और आप इसे गलियों और चौराहों पर सुना सकते हैं। यह हरेक दीन धर्म के लोगों को बराबर फ़ायदा देगा।

क्या है वह ख़ुत्बा ए रीहान?

रब अपनी रहमत और ज़्यादा करे तो हम आपको उस ख़ुत्बे का एक हिस्सा देंगे, इन् शा अल्लाह।

Part 6

गुलाब का अर्क़ भी एक दवा है। यूनानी चिकित्सक इसे कई बीमारियों में देते हैं। दुनिया की बेस्ट हर्बल मेडिसिन जवारिश जालीनूस गुलाब के अर्क़ में तैयार की जाती है।

छोटी इलायची के अलावा ज़ाफ़रान, बालछड़, ऊद बलसाँ, मस्तगी रूमी, नागरमोथा, दालचीनी, तज क़लमी और लौंग भी ख़ुश्बूदार होने की वजह से रीहान हैं।

जवारिश जालीनूस के नुस्ख़े में ये सब ख़ुश्बूदार दवाएं मौजूद हैं।

जवारिश जालीनूस का नुस्ख़ा

अर्क़ ए गुलाब 60 मिलीलीटर, छोटी इलायची, ज़ाफ़रान, बालछड़, ऊद बलसाँ, नागरमोथा, दालचीनी, तज क़लमी, लौंग, चिरायता मीठा, क़ुस्त शीरीं, कलंजन, सोंठ, काली मिर्च, बड़ी पीपल, असारून और हब्बुल आस; हरेक दवा 10-10 ग्राम और मस्तगी रूमी 25 ग्राम, चीनी 100 ग्राम और असली शहद 250 ग्राम। इन दवाओं से जवारिश बनाने के तरीक़े से उम्दा जवारिश बनाएं। जवारिश बनाने का तरीक़ा बहिश्ती ज़ेवर में और यूट्यूब पर देखा जा सकता है। यह बाज़ार में तैयार मिलती है। आप इसे मार्कीट से ख़रीद कर खा और बेच सकते हैं। आप इसे तैयार करेंगे तो यह कम ख़र्च में तैयार हो जाएगी।

आप खाना खाने के बाद सौंफ़ के अर्क़ के साथ जवारिश जालीनूस 6 ग्राम दो वक़्त खाएं।

जवारिश जालीनूस के ख़ुश्बूदार नुस्ख़े के फ़ायदे:

1. इसका सबसे पहला फ़ायदा यह है कि  पेट और हाज़्मे को सही करती है। यह डाइजेस्टिव एन्ज़ाइम्स को बढ़ाती है। यह गैस्ट्रिक एसिडिटी, सीने की जलन, खट्टी डकार, भूख की कमी और क़ब्ज़ को दूर करती है।

2. पेट की ख़राबी से मुंह से बदबू आती हो तो जवारिश जालीनूस इसकी दवा है।

3. पेट ख़राब होने की वजह से सिर में दर्द होता हो तो यह जवारिश उसे दूर करती है।

4. मसाने की कमज़ोरी की वजह से पेशाब ज़्यादा आता हो और सर्दी के मौसम में इसमें ज़्यादती हो जाती हो तो जवारिश जालीनूस इस्तेमाल करें।

5. जिस्म के रियाही दर्दों (वात के प्रकुपित होने से होने वाले दर्द)  का इलाज यह जवारिश है।

6. बलग़मी खाँसी में इसका इस्तेमाल बहुत फ़ायदेमंद है।

7. बादी बवासीर में जवारिश जालीनूस का इस्तेमाल बादी बवासीर को ख़त्म करता है।

8. गुर्दे और मसानी की पथरी में यह फायदेमंद है।

9. गर्दन और कमर दर्द के मरीज़ इसे 3 महीने खाएं।

10. इसमें ज़ाफ़रान, सोंठ, कुलंजन और मस्तगी रूमी जैसी दवाएं हैं। जो शादीशुदा ज़िंदगी की ज़िम्मेदारियां अदा करने की ताक़त को बढ़ाती हैं।

11. इसमें बड़ी पीपल है जो छोटे जोड़ों के दर्द और श्याटिका में फ़ायदा देती है। यह कफ़ की ज़्यादती से होने वाले रोगों को कम करती है। बड़ी पीपल पेट और कमर को ताक़त देती है लेकिन यह गर्भपात भी कर देती है। इसलिए गर्भवती औरतें इसे न खाएं।

12. यह बालों को देर तक काला रखती है।

13.. जवारिश जालीनूस का नुस्ख़ा बादशाहों और नवाबों के लिए तैयार किया गया था। 

जब मैंने पहली बार जवारिश जालीनूस का ज़ायक़ा चखा तो मुझे ऐसा लगा जैसे पूरी मौज आ गई है।

#mission_mauj_ley के पहलू से देखने पर मुझे इस बात का बहुत ज़्यादा एहसास हुआ कि मैं आज तक इतनी उम्दा ज़ायक़े वाली और ख़ुश्बूदार चीज़ खाने से महरूम था।

मुझे इस बात का भी दुख हुआ कि करोड़ों अरबों लोग जवारिश जालीनूस खाए बिना मर जाते हैं।

जवारिश खाने को हज़्म करने के लिए खाई जाती है। इसलिए इसे खाना खाने के बाद खाया जाता है। जिन्हें कोई बीमारी नहीं होती, वे भी जवारिश जालीनूस खाते हैं। सभी अच्छे हकीम अपनी सेहत सलामत रखने के लिए जवारिश जालीनूस खाते हैं।

यह जवारिश क़ीमती दवाओं और जड़ी बूटियों से बनती है। इसलिए इसकी क़ीमत दूसरी दवाओं से ज़्यादा होती है। जब आप दौलतमंद मुस्लिमों के मौहल्ले में गुलाब और तुलसी वग़ैरह खुशबूदार पौधे बेचें तब आप उनके साथ पाँच सात डिब्बे जवारिश जालीनूस के भी सजा लें। इस जवारिश की बहुत ज़्यादा डिमाँड है। ज़्यादातर बीमारियाँ हाज़्मे की ख़राबी और क़ब्ज़ की वजह से पैदा होती हैं। जिन्हें हाज़्मा और पेट सही करके दूर किया जा सकता है। रीहान यानी ख़ुश्बूदार जड़ी बूटियाँ आपका हाज़्मा और पेट भी सही करती हैं।

Part 7

दोस्तो, मेरी ज़िन्दगी का मक़सद आपकी ज़िन्दगी को महकाना है क्योंकि नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़िन्दगी का मक़सद यही था, जिनके पसीने से भी ख़ुश्बू आती थी।

अब अगर मैं कहूँ कि आपके पसीने से भी ख़ुश्बू आने लगेगी तो आप नाराज़ हो सकते हैं कि कहाँ हम और कहाँ अल्लाह के नबी!

हाँ, यह फ़र्क़ है और यह फ़र्क़ रहेगा लेकिन मैं आपको उनके बराबर बनने के लिए नहीं कह रहा हूँ बल्कि उनके तरीक़े पर चलने के लिए कह रहा हूँ।

जब आप नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के तरीक़े से भूख लगने पर खाएंगे और पेट भरने से थोड़ा पहले खाने से हाथ रोक लेंगे।

जब आप शहद, सना और अंजीर खाकर पेट साफ़ करते रहेंगे।

जब आप खीरा, ककड़ी और तरबूज़ खाकर अपनी आँतों में नमी बनाए रखेंगे।

जब आप रोज़ ऊद जैसी उम्दा ख़ुश्बू नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत के मुताबिक़ अपने बदन पर लगाएंगे।

तब आपकी आँतों में न क़ब्ज़ होगा और न‌ सड़न होगी। तब आपकी साँसें महकेंगी।

तब आपके पसीने से भी ख़ुश्बू आएगी,

इन् शा अल्लाह।

फ़रिश्तों और अच्छे लोगों को ख़ुश्बू पसंद है। इसलिए आप अपने आपको ही ख़ुश्बू बना लें। जहाँ आप जाएं वहाँ लोगों को ख़ुश्बू (रीहान) आए।

कुछ इंसान सिर से पैर तक ख़ुश्बू यानी रीहान होते हैं।

अल्लाह के नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि हसन और हुसैन दोनों दुनिया में मेरे रीहान (ख़ुश्बूदार फूल sweet smelling flowers) हैं।

(मिश्कात, भावार्थ हदीस)

Nabiﷺ‘s Rehaan (Rayhan) on Earth:-

5. Nabiﷺ said that Hasan & Husein رضي الله عنه both are my Rehaan (Rayhan) (الريحان) (sweet smelling flowers) on earth (الدنيا). 

-[Mishkat: 6145]

मेरी ज़िन्दगी में जो महक है, वह इमाम हसन, इमाम हुसैन, उनके अब्बा, उनकी अम्मी, उनकी बहन और उनके नाना और उनसे अक़ीदत और मुहब्बत रखने वालों की वजह से है।

इंसान का दिल जन्नत हो और उसे इल्मो हिकमत हो तो यह बात यक़ीनी है कि उसकी ज़िन्दगी ज़रूर महकेगी। उसके इल्मो हिकमत की महक उसके जिस्म से भी आएगी। उसके बदन से ख़ारिज होने वाली वेस्टेज से भी ख़ुश्बू आएगी।

मैं आपको अपनी इसी फ़ेसबुक वाल पर पहले भी बता चुका हूँ कि एक बार मौलाना शम्स नवेद उस्मानी रहमतुल्लाहि अलैह ने फ़रमाया कि अल्लाह के बंदों का पाख़ाना तक महकता है।

मैंने यह सुना तो अपने दिल में सोचा कि मौलाना ने किस का पाख़ाना (Toilet) महकता देखा है। जब मैं रामपुर गया और मुझे मौलाना के पाख़ाने में जाना पड़ा तब मैंने देखा कि मौलाना का पाख़ाना महक रहा है। उसमें कोई ख़ुश्बूदार प्रोडक्ट नहीं था। मैंने देखा कि मौलाना के पाख़ाने में फ़्लश नहीं है बल्कि वहाँ पुराने मुग़ल तर्ज़ का पाख़ाना बना हुआ है। उसमें बहुत थोड़ी सी वेस्टेज पड़ी है, जो राख या मिट्टी से ढकी हुई है‌‌। तब मैं समझा कि मौलाना ने अपना पाख़ाना देखा और यह बात कही है।

लेकिन तब मैं यह नहीं जान पाया था कि ऐसा क्यों होता है?

जब मैंने तिब्बे नबवी, यूनानी पद्धति, आयुर्वेद और नेचुरोपैथी को पढ़ा और इनमें क़ब्ज़ के नुक़्सानों के बारे में जाना, तब यह बात सामने आई कि अगर खाना सही तरीक़े से हज़्म होकर वेस्टेज फ़ौरन बाहर हो जाए तो उस वेस्टेज में सड़ाँध और बदबू न होगी लेकिन जब ऐसा नहीं होता और वेस्टेज बड़ी आँत में जमा होकर सड़ने लगती है, तब जो वेस्टेज बाहर आती है, उसमें बदबू होती है। इस बदबू को दबाने के लिए पाख़ानों (शौचालयों) में ख़ुश्बूदार टिकिया और कई प्रोडक्ट्स रखे जाते हैं।

पूरा समाज क़ब्ज़ का मरीज़ है तो सब लोग यही समझते हैं कि वेस्टेज से बदबू आना नार्मल है। जबकि यह नार्मल नहीं है, यह क़ब्ज़ के रोग का लक्षण है। आदमी के पेट में 18 किलो तक गंदगी जमा हो जाती है लेकिन उसे पता नहीं चलता।

जब आप नबियों की डाईट को और उनके लाईफ़ स्टायल को फ़ोलो करते हैं तब आपका खाना सही हज़्म होता है और क़ब्ज़ नहीं होता। तब आपके बदन से ख़ारिज होने वाली वेस्टेज में बदबू नहीं बल्कि ख़ुश्बू होती है।

मैं रब की बख़्शी हुई हिकमत से आपको जौ या ओट्स को दूध या पानी में तुलसी के 7 पत्तों, 10 ग्राम गुलाब की पंखुड़ियों और 2-3 छोटी इलायची के साथ पकाकर शहद से मीठा करके रात में डिनर की जगह खाना बता चुका हूँ। इससे आपका क़ब्ज़ दूर होगा और आपकी आँत महकेगी।

आप दो वक़्त खाने के बाद सौंफ़ के अर्क़ के साथ जवारिश जालीनूस 6 ग्राम भी खाएं और सिर्फ़ 3 दिन में रिज़ल्ट देख लें कि आपका पाख़ाना महकता है या नहीं?

हर घर में पाख़ाना होता है। जिनके घर में नहीं था, उनके घर में मोदी जी ने शौचालय बनवा दिया है लेकिन उन शौचालयों में बदबू है और उनके अंदर बदबू फैलाने वाले क़ब्ज़ के रोगी हैं। हर शौचालय सड़ाँध मार रहा है। जो भारत के रोगी होने का लक्षण है। नया भारत बनाया जा रहा है तो हैल्दी भारत बनाना भी ज़रूरी है। नए भारत में दिलों में नफ़रत और साँसों व आँतों में सड़न और बदबू नहीं होनी चाहिए।

केवल शौचालय बना देना काफ़ी नहीं है। मेरे #मनकीबात यह है कि शौचालय को महकाना भी ज़रूरी है।

मुझे यक़ीन है कि जब आप मोदी जी के लाखों शौचालयों को महकाने के लिए वेद और क़ुरआन के रीहान यानी #गुलाब और #तुलसी आदि पौधों के साथ गुलक़ंद, जौ व जई (oats) का दलिया, #जवारिश_जालीनूस, अर्क़ ए गुलाब और अर्क़ ए बादयान (सौंफ़) बेचेंगे तो मोदी जी आपसे बहुत ख़ुश होंगे।

आप अक़्लमंद होंगे तो आप मोदी जी के #शौचालय को महकाने को एक मिशन और एक आंदोलन के रूप में चलाएंगे और मोदी जी के चाहने वालों से उसमें सहयोग लेंगे। जब पीएम मोदी जी के चाहने वाले आपको सपोर्ट करने को तैयार हैं तो आपको भरपूर रोज़ी मिलेगी,

इन् शा अल्लाह।

#mission_mauj_ley की शिक्षा यह है कि

चाहे घर घर मोदी न हों लेकिन घर घर शौचालय ज़रूर हैं। मौलाना शम्स नवेद उस्मानी रहमतुल्लाहि अलैह एक बहुत बड़ी बात बताकर गए हैं। जिस पर मैंने हिकमत के साथ विचार किया है। आप भी ऐसा करें। हर घर के शौचालय को महका दें।

किसी ज़मींदार या धनपति सेठ ने मौलाना शम्स नवेद उस्मानी रहमतुल्लाहि अलैह को ज़मीन नहीं दी कि उनके मिशन से जुड़े लोग उसकी उपज से गुज़ारा कर लेते लेकिन हरेक दीनी और फ़लाही मिशन के लोग अपनी पॉज़िटिव एक्टिविटीज़ के साथ #Tibbe_Nabawi के फ़ूड्स से और हर्बल मेडिसिन से सबका क़ब्ज़ दूर करके उनके वुजूद को महकाने का काम करें तो वे #आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

#अल्हम्दुलिल्लाह !

Part 8

आज बड़ी तादाद में लोग रोज़ी रोज़गार के न होने और उसे खोने के डर से परेशान हैं। इसकी असल वजह उनकी माईंड प्रोग्रामिंग है। वे सोचते हैं कि नौकरी और मज़दूरी से ही उन्हें रोज़ी मिल सकती है। जैसे जैसे नौकरी और मज़दूरी के मौक़े कम होंगे, वैसे वैसे कमाई के मौक़े कम होते जाएंगे।

उनके माईंड में स्कूल और टी०वी० चैनल बचपन से यही बात भरते आ रहे हैं। हक़ीक़त यह है कि चाहे जैसे भी हालात हों, अगर आपने पवित्र क़ुरआन और हदीस पढ़ी है या अपने धर्म का वेद, आयुर्वेद और गीता या बाइबिल पढ़ी है तो आप हर तरह के हालात में अच्छी और पाक रोज़ी बिल्कुल जायज़ तरीक़े से कमा सकते हैं।

मिसाल के तौर पर आप देख रहे हैं कि पीएम मोदी जी नए भारत के निर्माण के मिशन में जुटे हुए हैं और इस काम से उन्हें इज़्ज़त और रोज़ी मिल रही है।

अगर आप इस वाक़ये को हिकमत की नज़र से ख़ास तवज्जो के साथ देखें तो आप देखेंगे कि भारत निर्माण के फ़ील्ड में अनंत वेकेंसीज़ हैं।

'नए भारत का निर्माण' एक बड़ा मिशन है। आप 'महकता भारत मिशन' शुरू कर दें। भारत की आत्मा गाँवों में बसती है। गाँवों में लोगों की आय कम होती है। इसलिए गाँव में सस्ती चीज़ ज़्यादा बिकती है। जब आप कम आय वाले लोगों के गाँव और मौहल्ले में रीहान यानी ख़ुश्बूदार पौधे और प्रोडक्ट्स बेचें तो गेंदा, चमेली और गुले तस्बीह जैसे सस्ते पौधे बेचें।

गाँव में जवारिश जालीनूस बेचने की कोशिश न करें। आप वहाँ अजवाइन और सोंठ से बना चूर्ण बेचें। अजवाइन और सोंठ दोनों ख़ुश्बूदार (रीहान) हैं। सोंठ का ज़िक्र पवित्र क़ुरआन में आया है। देखें पवित्र क़ुरआन में सूरह इंसान की आयत नंबर 17.

सोंठ जन्नत की चीज़ है। क्वालिटी में फ़र्क़ के बावजूद दुनिया की सोंठ उसके जैसी ही है।

नए भारत को जन्नत की तरह महकाना है तो यह काम सोंठ (Ginger) के बिना मुमकिन नहीं है।

ख़ुश्बूदार जायक़ेदार चूर्ण का नुस्ख़ा

1.आप देसी अजवाइन और सोंठ को कूट पीसकर बारीक कर लें। यह एक ख़ुश्बूदार पाउडर बन जाएगा। अब आप इसमें ज़ायक़े के मुताबिक़ काला नमक बारीक पीसकर मिला लें। अब आपके पास एक उम्दा पाचक (हज़्म करने वाली) चूर्ण मौजूद है।

फ़ायदे:

यह रीहान (ख़ुश्बूदार) चूर्ण दीपन और पाचन (भूख लगाने और खाने के पचाने) में बेस्ट है। यह पेट के कीड़े मारता है। यह औरत और मर्द की कमर मज़बूत करता है और दोनों की ताक़त और ख़ूबसूरती बढ़ाता है।

2. अजवाइन का चूर्ण बनाने का आसान तरीक़ा

मेरे एक परिचित नारायण ने मुझसे खाने के बाद पेट में भारीपन की शिकायत की। मैंने उन्हें सिर्फ़ देसी अजवाइन और काला नमक पानी से लेने के लिए कहा। उन्होंने इसे खाया और उनका पेट फ़ौरन हल्का हो गया। उनके सीने पर जो बोझ और तंगी थी, वह दूर हो गई।

#mission_mauj_ley की सलाह यह है कि जब आप किसी शादी ब्याह में या किसी अच्छी दावत में जाएं तो आप अपनी जेब में एक पुड़िया में यह बेनज़ीर चूर्ण साथ रखकर ले जाएं। अगर आप मेज़बान का दिल रखने के लिए ज़्यादा खा बैठें तो आप फ़ौरन आधा या एक चम्मच चूर्ण पानी के साथ खा लें। जो खाया है, वह जल्दी हज़्म हो जाएगा और आप फिर से मेज़बान का दिल रखने के लिए नेमतें खाने की पोज़ीशन में आ जाएंगे। कुछ लोग दूसरों का दिल रखने के लिए अपनी जान का रिस्क ले लेते हैं। यह चूर्ण उनका रिस्क कम करता है।

3. पंचसकार चूर्ण के फ़ायदे और बनाने का तरीक़ा

रात को सोने से पहले 6 ग्राम 'पंचसकार चूर्ण' गर्म पानी से खा लें। सुबह को सारा खाना हज़्म होकर बढ़िया तरीक़े से बाहर निकल जाएगा। यह चूर्ण भी महकता हुआ चूर्ण है। इसमें जन्नत की चीज़ सोंठ के साथ मक्का की सना भी है। जिसे सना ए मक्की कहते हैं। यह एक पौधा होता है। इसका पत्ता एक बेहतरीन दवा है। जो क़ब्ज़ दूर करता है। मक्का की सना बेस्ट होती है। इसकी माँग ज़्यादा है। पंसारी सना ए मक्की के नाम पर दूसरी जगह पैदा होने वाली सना दे देते हैं। जो क्वालिटी और असर में कम होती है।

इब्ने माजा की एक हदीस में नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सना में मौत के सिवा हरेक बीमारी से शिफ़ा बताई है।

आयुर्वेदाचार्यों ने सना ए मक्की के इस गुण को पहचाना और इसे 'पंचसकार चूर्ण' के नुस्ख़े में शामिल किया। जब एक आयुर्वेदाचार्य पेट और आँत रोग, जोड़ों के दर्द और गठिया या खाल के रोगों का इलाज करता है तो वह मरीज़ को सबसे पहले पंचसकार चूर्ण देता है। जो शरीर की तमाम गंदगी और ज़हर को बाहर निकालता है।

पंचसकार चूर्ण बनाने का तरीक़ा

सोंठ, सौंफ, सनाए मक्की, सैंधा नमक और बड़ी हरड़, सबको बराबर वज़न में मिलाकर कूट-छानकर चूर्ण बना लें।

मात्रा: 3 से 6 माशे ग्राम तक रात को निवाये पानी के साथ लें।  

पंचसकार चूर्ण (Panchsakar Churna) सौम्य विरेचन है। क़ब्ज़ (Constipation), आमवृद्धि (Toxin), सिरदर्द (Headache), अजीर्ण (Indigestion), उदरवात (पेट का वायु), अफारा (Flatulence), उदरशूल (पेट दर्द), गुदाशूल आदि दोषों को दूर कर पाचन शक्ति को सुधारता है।

यह चूर्ण अर्श रोग (Piles), आम प्रकोप, जीर्ण आमवात (Rheumatism) में जोड़ों की पीड़ा और क़ब्ज़ तथा नये अम्लपित्त (Acidity) के रोगियों के लिए हितकारक है। इसके सेवन से आमाशय रस की अम्लता और उग्रता में कमी होती है। आंतों में गए हुए दूषित आम का पाचन होता है और नया आम (Toxin) कम पैदा होता है। इसके अलावा यकृत पित्त (Gastric Juice) का स्त्राव बढ़ता है जिससे छोटी आंत में होने वाली पाचन क्रिया सुधरती है। यकृत पित्त पूरा मिलने पर मल में बदबू नहीं होती। कीटाणु और विष नष्ट हो जाते हैं और मल को आगे फेंकने का काम आसानी से होता है और शुद्धि होने के बाद उसका आंकुचन होने में भी मदद मिल जाती है।

पंचसकार चूर्ण एक महकता हुआ चूर्ण है। जो महकता भारत बनाने में मदद करता है। यह सस्ता है और सब लोग इसे ख़रीद सकते हैं।

'महकता भारत मिशन' एक बड़ा है। यह लाखों लोगों को रोज़गार दे सकता है। आप शुरू में दस बीस दवाएं एकदम बेचने की कोशिश करेंगे तो आप नाकाम हो सकते हैं। इसलिए आप शुरू में सिर्फ़ चार पाँच प्रोडक्ट्स की सेल करें। आप उन प्रोडक्ट्स में सबसे पहले पंचसकार चूर्ण ज़रूर रखें।

यह चूर्ण बाज़ार में तैयार मिलता है। मक्का की सना से भारत को महकाने से आप आत्मनिर्भर बनेंगे और आपकी ज़िन्दगी भी महकेगी। 

इन् शा अल्लाह!

किसी न किसी रूप में मक्का हरेक भारतीय की ज़िन्दगी में शामिल है।

Part 9

हमारे एक फ़ेसबुकी मित्र सन्तोष पाण्डेय जी ने हमारी आत्मनिर्भरता सीरीज़ की एक पोस्ट पर कमेंट करके पहले की तरह दार्शनिक पोस्ट लिखने का आग्रह किया था।

अभी यह सीरीज़ और चलेगी तो यह सोचा कि आज मैं उन्हें और उनके तुफ़ैल (सौजन्य) में आप सबको अपना एक कमेंट पढ़वा दूँ। इस पोस्ट के बहाने आप हमारे मित्र की बेटी की सेहत के लिए दुआ भी करेंगे। जिसका फ़ायदा प्यारी सी बेटी को मिलेगा। मैं बेटियों के मामले में भावुक हूँ। इस कमेंट में थोड़ा सा इज़ाफ़ा (वृद्धि) कर रहा हूँ।

अपने एक फ़ेसबुकी मित्र पंडित प्रशांत तिवारी जी की बेटी की बीमारी की पोस्ट पढ़कर हमने यह लिखा:

रब से इतनी बढ़िया बच्ची के लिए बढ़िया सेहत की दुआ अब थोड़ी देर बाद नमाज़ पढ़कर करूंगा।

अगर डाक्टर इजाज़त दे तो आप इसे #sanamakki ki herbal tea #honey से मीठी करके पिलाएं।

सना की विशेषता जानने के लिए यह जान लें कि वास्तु की दृष्टि से हर घर का केंद्र यानी बीच का स्थान ब्रह्म भाग कहलाता है।

सो पूरी वसुधा को एक घर मानें तो मक्का ब्रह्म भाग है क्योंकि धरती की नाभि पर मक्का है। 

वहीं नाभि पर कमल है। जो ब्रह्मा जी का आसन (मक़ाम) है। काबा कमल मंदिर (भवन) है। काबा के पास मक़ाम ए इब्राहीमी (ब्रह्मा जी/ABRAHAM का आसन) आज भी है। पवित्र क़ुरआन 2:125 में मक़ामे इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) का ज़िक्र मिलता है।

#maqameibrahim

मक्का को रचयिता विधाता परमेश्वर ने 'बलदिल अमीन' अर्थात अमन वाला शहर कहा है। देखें पवित्र क़ुरआन 95:3

सना अमन वाले शहर में पैदा होती है। इसलिए इसे अमन और शाँति के लिए काम में लाएं तो यह शरीर के उपद्रव को शाँत करेगी।

इब्ने माजा की एक हदीस में नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सना में मौत के सिवा हरेक बीमारी से शिफ़ा बताई है। 

महान आयुर्वेदाचार्यों ने सना ए मक्की के इस गुण को पहचाना और इसे 'पंचसकार चूर्ण' के नुस्ख़े में शामिल किया। 

यह चूर्ण बाज़ार में तैयार मिलता है। आयुर्वेद और नेचुरोपैथी में हर मर्ज़ का कारण क़ब्ज़ को माना गया है। सना का जोशांदा (काढ़ा) शहद से मीठा करके पिएं तो यह क़ब्ज़ दूर करता है। सना को अपने बाप का माल समझ कर खाते पीते रहें।

आप तुलसी के पत्तों की तरह घर में सना के पत्ते और शहद भी रखा करें,

इन् शा अल्लाह

घर के लोगों की दवा कम हो जाएगी।

#mission_mauj_ley कहता है कि

किसी न किसी रूप में मक्का हरेक भारतीय की ज़िन्दगी में शामिल है।

Part 10

आप अपने जीने की,

अपने कमाने की

और अपने विकास की कोशिश ख़ुद करते हैं तो यह प्रकृति आपको सपोर्ट करती है।

आप #आत्मनिर्भर बनने के लिए शौचालय को कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं? यह हम आपको बता चुके हैं। 

Part 11

आत्म निर्भर बनने के लिए गुलाब के पौधे बेचने वाले गली गली घूमते हैं। यह एक सादा सा काम है। जिसे कोई भी कर सकता है लेकिन हमारी तालीम की ख़ासियत यह है कि जिस काम को सब लोग सादा तरीक़े से करते हैं, हम आपको वही काम ख़ास तरीक़े से करना सिखाते हैं। 

हम आपको बता चुके हैं कि मर्द कमाते हैं और घर की औरतें उनकी कमाई ख़र्च करती हैं। वे घर की सजावट और अपनी ख़ूबसूरती पर काफ़ी माल ख़र्च करती हैं। औरतों की स्किन चाहे जितनी ज़्यादा फ़ेयर हो, वे और ज़्यादा फ़ेयरनेस चाहती हैं क्योंकि वे किसी हीरोईन और मॉडल से अपनी तुलना करती रहती हैं और ख़ुद को  उनसे कम पाती हैं। इससे ब्यूटी और कॉस्मेटिक्स की इतनी बड़ी डिमाँड क्रिएट हुई है, जो हज़ारों साल से आज तक पूरी न हुई।

आप इस पर हिकमत की नज़र से ख़ास तवज्जो दें तो आप गुलाब और तुलसी के पौधों के साथ गुलाब और तुलसी के फ़ेस पैक भी रख लें। आप एक ख़ूबसूरत कलर्ड चिकने पेपर पर गुलाब और तुलसी के फ़ेस पैक बनाने का तरीक़ा और उसके फ़ायदे किसी मशहूर हीरोईन की तस्वीर के साथ छाप दें। जिसका चेहरा गुलाब की तरह खिला हुआ और ताज़गी भरा हो।

1. गुलाब का बेस्ट रीहान फ़ेस पैक

मैं आपको एक बेस्ट रीहान फ़ेस पैक बनाने का तरीक़ा बता रहा हूँ। इसमें हम गुलाब की पंखुड़ियां और संतरे के छिलकों का पाउडर इस्‍तेमाल करते हैं। गुलाब की पंखुड़ियों में पाए जाने वाले नेचुरल ऑयल स्किन में नमी बनाए रखने में मदद करते हैं। इससे आपकी स्किन नर्म और मुलायम होती है। गुलाब की पंखुड़ियों में मौजूद शुगर विशेष रूप से उन महिलाओं को फायदा पहुंचाती है जिनकी स्किन सेंसिटिव है। गुलाब की पंखुड़ियां अच्छे सनब्लॉक के रूप में काम करती हैं। अगर आप ग्लोइंग और बेदाग़ स्किन की तमन्ना रखते हैं तो एक बार गुलाब की पंखुड़ियों और संतरे के छिलकों के पाउडर को ज़रूर इस्तेमाल करके देखें। संतरे के छिलके का पाउडर स्किन पर मौजूद सारी गंदगी को साफ़ कर देता है। संतरे के छिलके में रंगत साफ़ करने की ज़बरदस्त ख़ूबी होती है।

सामग्री

गुलाब की पंखुड़ियां- 15-20 ग्राम

दही- 1 चम्‍मच

शहद- 1 चम्‍मच

संतरे के छिलकों का पाउडर- 2 बड़े चम्‍मच

बनाने का तरीक़ा

ग्लोइंग स्किन के लिए गुलाब की पंखुड़ियां लें। अगर पंखुड़ियां ताज़ा हैं तो ठीक है‌। पंखुड़ियाँ सूखी हों तो उन्हें कुछ घंटे पानी में भिगो लें। इन्हें अच्‍छी तरह से धोकर मिक्‍सी में इसका पेस्ट बना लें।

फिर इसमें दही और शहद के साथ संतरे के सूखे छिलकों का पाउडर मिलाएं।

अच्छी तरह मिक्स करके इसे चेहरे पर लगाएं और 20 मिनट के बाद सादे पानी से धो लें।

आप इस बेस्ट होममेड फ़ेस पैक को रात को चेहरे पर लगाएं तो आप सुबह को ताज़ा और गुलाब जैसा खिला हुआ चेहरा पा सकते हैं।

2. तुलसी का बेस्ट रीहान फेस पैक

तुलसी और नीम की पत्‍तियों को एक साथ धो लीजिये। फिर इन्‍हें पानी में मिल कर पीस लें और फिर पेस्‍ट में दो लौंग पीसकर मिला लें। सारे पेस्ट को अच्छी तरह मिक्स कर लें। तैयार पेस्‍ट को अपने चेहरे और गर्दन पर लगाएं। पैक को 30 मिनट तक लगाए रखने के बाद गर्मी में ठंडे पानी से और सर्दी में ताज़ा पानी से धो लें। लौंग से चेहरे के सारे दाग़ धब्‍बे साफ़ हो जाएंगे। इस पैक को लगाने से मुंहासों के निशान साफ़ होगें और चेहरा साफ़ होगा।

आपका पम्फ़लेट पढ़ने के बाद औरतों को आपका गुलाब और तुलसी अपनी समस्याओं का हल नज़र आएगा। वे आपसे पौधे भी लेंगी और वे आपसे फ़ेस पैक भी लेंगी।

ख़ास बात

अगर आप किसी कंपनी के फ़ेस पैक बेचते हैं तो ठीक है वर्ना आप गुलाब, संतरे के सूखे छिलकों का पाउडर और तुलसी व नीम की सूखी पत्तियां या उनका तैयार पाउडर और शहद उन्हें बेच सकते हैं। 

हमने आपको गुलाब और तुलसी के सिर्फ़ दो फ़ेस पैक नमूने के तौर पर बताए हैं। ये बेस्ट हैं लेकिन आप फ़ेस पैक की बुक में और भी कई अच्छे फ़ेस पैक देख सकते हैं।

असल बात यह है कि गुलाब, तुलसी, नीम, दही, संतरा, नींबू, ओटमील, बेसन, मसूर की दाल का पाउडर, चिरौंजी, बादाम, खीरा सेब, पपीता, केला या शहद जो भी चीज़ अपने चेहरे पर लगाओगे, आपकी स्किन फ़ेयर होगी।

क्यों होगी?

यह बात हम आप पर छोड़ते हैं। आप इस बात का पता लगाएं कि डेड स्किन उतरने के बाद स्किन फ़ेयर क्यों लगती है?

3. मेरा अपना ख़ास फ़ेस पैक

#mission_mauj_ley का मेंबर होने के नाते मुझे आसानी पसंद है। यह बात आप ध्यान रखें। मैं जब अपने भाई के निकाह में शरीक होने के लिए तैयार हुआ तो मैंने अपनी रसोई में से डेढ़ चम्मच आटा और एक चुटकी हल्दी लेकर उनका सादा पानी में पेस्ट बनाया। मैं गुलाब जल नहीं डालता क्योंकि कास्मेटिक्स की दुकान पर बिकने वाला गुलाब जल हक़ीक़त में खुश्बूदार उबला हुआ पानी है। फिर उसे बहुत हल्की सी आँच दी और जब वह कुछ कुछ लेई जैसा होने लगा तब मैंने उसमें आधा चम्मच नींबू का रस मिलाया। उसे पेस्ट में अच्छी तरह मिक्स किया। अब उसे अपने चेहरे और गर्दन पर फ़ेस पैक की तरह लगाया। आधा घंटे बाद जब उसने चेहरे की स्किन को जकड़ लिया। तब मैंने उसे ताज़ा पानी से रगड़ रगड़ कर उतार दिया। डेड स्किन उतर गई तो अन्दर से चाँद सा रौशन चेहरा बरामद हो गया।

अल्हम्दुलिल्लाह!

यह ख़ास नुस्ख़ा मैंने आपको बता दिया है‌ ताकि आप बिना ख़र्च के हसीन दिखें और दूसरों को हसीन बनाकर कमाना सीखें।

आप समझ सकते हैं कि एक हकीम आटे को अच्छी क़ीमत पर बेच सकता है।

#मिशनमौजले कहता है कि

हक़ीक़त यह है कि हकीम मिट्टी और पानी को आटे से ज़्यादा क़ीमत पर बेच सकता है।

आप मुल्तानी मिट्टी का फ़ेस पैक भी बेच सकते हैं।

4. तुलसी और मुल्‍तानी मिट्टी का फ़ेस पैक

एक छोटी सी कटोरी में तुलसी पाउडर, चंदन पाउडर, ऑलिव ऑयल , मुल्‍तानी मिट्टी और गुलाब जल मिक्‍स करें। इस पेस्‍ट को चेहरे पर 30 मिनट तक के लिये लगाएं और फिर ठंडे पानी से चेहरा धो लें। रब का शुक्र है कि यह फ़ेस पैक हर तरह की स्‍किन पर उम्दा काम करता है।

एक पोशीदा नुस्ख़ा सदाबहार हुस्न के लिए

अगर आप क़ीमती फ़ेस पैक और क्रीम लगाती हैं लेकिन लोगों से मुस्कुरा कर नहीं मिलतीं। आप उनका दुख सुख नहीं पूछतीं। आप उनकी कोई मदद नहीं करती। अगर आप पुरानी कड़वी यादों में जीती हैं और जिसने आपके साथ बुरा किया है, आप उसे माफ़ नहीं ख्कर पाई हैं तो इन बातों से आपका ख़ून और फ़ासफ़ोरस जलेगा। आपकी स्किन सेल्स को ऑक्सीजन की सप्लाई कम होगी। पुरानी यादों से आपके चेहरे पर झुर्रियां पड़ेंगी।

अगर आप ये बुरी आदतें बदल लें तो आपका दिल गुलाब बन जाएगा और सारी दुनिया आपके दिल की ताज़गी और रौशनी आपके चेहरे पर देखेगी। आप बिना किसी फ़ेस पैक के ही चेहरे की झुर्रियों को और दाग़ धब्बों को कम कर देंगी।

अगर आप आधा घंटा बैठकर ख़ुद को 3 साल की बच्ची जैसा फ़ील करें #feel_it_real

तो यह एहसास आपके चेहरे की स्किन को बच्चों जैसी बना देगा।

इंपोर्टेंट बात यह है कि जो कुछ आप अपने दिल में हैं और जो कुछ आप अपने दिल में मानती और महसूस करती हैं, उसका असर आपके चेहरे पर पड़ता है।

आख़री बात चेतना (ख़ुदी consciousness) का ऐसा राज़ है कि अगर आप इसे जान लें और इसे सबको सिखाने लगें तो आप कुछ न भी बेचें तब भी लोग आपकी ज़रूरत की सब चीज़े लेकर ख़ुद आ जाए़गे।

#In_Shaa_Allah

Part 12

यह आत्मनिर्भरता की ओपन यूनिवर्सिटी है और आप डा० अनवर जमाल से यानी मुझसे आत्मनिर्भरता का सब्जेक्ट पढ़ रहे हैं। मैं अपनी बातें पढ़कर ख़ुद कहता हूँ कि मैं अनोखा हूँ क्योंकि मेरी बातें अनोखी हैं। मेरी बातें आपकी रोटियाँ बन सकती हैं।

आप अपने दिल में भी 'मैं' के साथ कभी कोई घटिया बात न बोलें। जब कोई ग़लती हो जाए, उसे ज़रूर क़ुबूल करें लेकिन अपने दिल में हमेशा शर्मिंदगी, अपराध बोध और ख़ुद को कोसने के काम छोड़ दें। ये आपकी रोज़ी और तरक़्क़ी रोकते हैं। 


यह दुनिया की पहली ओपन यूनिवर्सिटी है जो बेरोज़गार लड़के लड़कियों को घर बैठे कमाना और अपनी कमाई को बढ़ाना सिखाती है। अब तक हम आपको क़ुरआन, बाइबिल और वेद के समान सूत्र से सुगंधित पौधे और उनसे तैयार होने वाले प्रोडक्ट्स बेचकर कमाना सिखा खा चुके हैं।

आप गुलाब और तुलसी जैसे खुशबूदार पौधों के साथ  तैयार फेस पैक रखें और उनके साथ खुशबूदार साबुन भी रखें जो ग्लिसरीन बेस्ड हों। इनमें कई तरह की ख़ुश्बू होती है-

1. गुलाब

2. तुलसी

3. जैस्मिन

4. लेमनग्रास

5. लैवेंडर

6. संतरा

7. बादाम

8. वनीला

9. चंदन

10. ख़स

ग्लिसरीन सोप इन समस्याओं को दूर करने में मददगार है-

1. acne

2. dermatitis (eczema)

3. dry skin

4. psoriasis

5. rosacea

आप पूछेंगे कि रोसैसिया (Rosacea) क्या है?

यह एक बहुत ही आम बीमारी है जो नाक, गाल, ठोड़ी और माथे पर लाली का कारण बनती है। यह बीमारी ख़ास तौर से 30 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों पर हमला करती है। यह एक जीर्ण त्वचा रोग है जिसमें पिम्पल और और जलन हो सकती है। यह मुख्य रूप से फ़ेयर स्किन वाले लोगों के लिए होता है। इसके बावजूद, रोग का आसानी से इलाज किया जा सकता है।

चिरायते के अर्क़ के साथ हमदर्द की माजून उश्बा (majun ushba) और बैद्यनाथ कंपनी की रक्तशोधक वटी जैसी दवाएं भी इन रोगों को दूर करती हैं।

सोरायसिस में vasu की cutisora tablets खाना और सोरायसिस की जगह पर cutisora oil लगाना फ़ायदेमंद है।

बाज़ार में सबसे ज़्यादा बिकने वाले ख़ुश्बूदार साबुनों में कास्टिक सोडा होता है। जो स्किन को रूखा और बेजान बना देते हैं।

स्किन की नमी छीन लेते हैं साबुन

बाजार में मौजूद ज्यादातर साबुनों में ख़ुश्बू, डिटर्जेंट और अन्य तरह के केमिकल्स मौजूद होते हैं। ये हमारी स्किन को साफ़ तो करते हैं लेकिन इनके इस्तेमाल से हमारे स्किन की नमी छिन जाती है। हमारा शरीर स्किन की हिफ़ाज़त के लिए एमिनो एसिड्स और क्षार का निर्माण करता है। यह स्किन की परत पर माइश्चराइज़र के रूप में मौजूद होते हैं। साबुन के इस्तेमाल से ये नेचुरल माइश्चराइज़र नष्ट हो जाते हैं।

गुड बैक्टीरिया भी हो जाते हैं ख़त्म

साबुन जीवाणुओं को तो खत्म कर ही देते हैं लेकिन साथ ही साथ ये स्किन पर मौजूद अच्छे बैक्टीरिया का भी ख़ात्मा कर देते हैं। गुड बैक्टीरिया स्किन के घातक बैक्टीरिया को ख़त्म करने में मदद करते हैं।

स्किन से विटामिन डी हटाते हैं

हमारे शरीर के लिए विटामिन डी बहुत फायदेमंद है। साबुन का इस्तेमाल हमारे शरीर में विटामिन को एब्ज़ार्ब नहीं होने देता। इससे पहले कि विटामिन डी को त्वचा एब्ज़ार्ब करे, साबुन उसे त्वचा से ही हटा देते हैं। विटामिन डी को त्वचा में एब्ज़ार्ब होने में कम से कम 48 घंटे लगते हैं।

इसलिए अगर अपने चेहरे की स्किन को नर्म और ताज़ा रखना है और बढ़ती उम्र में भी जवान दिखना है तो आप कास्टिक सोडा से तैयार होने वाले 15-20 रूपये वाले साबुनों से बचें। इनकी जगह पर आप ग्लिसरीन बेस साबुन इस्तेमाल करें।

यह हुस्न को देर तक क़ायम रखने का सीक्रेट है। जब आप खुश्बूदार पौधे और प्रोडक्ट्स बेचने के लिए कालोनियों में घूमें तब आप दूसरी बातों के साथ यह सीक्रेट भी रिकार्ड करके सुनवाएं। अभी तक मैंने यह बात किसी सेल्समैन की गाड़ी पर नहीं सुनी है। आम तौर से लड़कियाँ और औरतें इस बात से अन्जान हैं कि जो साबुन वे इस्तेमाल करती हैं, वह उनकी स्किन को नुक़्सान पहुंचाकर उन्हें बूढ़ा दिखाता है और उन्हें उस साबुन के बजाय ग्लिसरीन बेस साबुन इस्तेमाल करना चाहिए। जैसे ही लड़कियों और औरतों में इस बात की अवेयरनेस आएगी, वे फ़ौरन उस साबुन का इस्तेमाल छोड़ देंगी। वे आपसे ग्लिसरीन बेस साबुन लेंगी।

याद रखें कि औरत अपने चेहरे पर बुढ़ापे के निशान देखना नहीं चाहती।

इसलिए जब तक इस ज़मीन पर औरत है, आपको रोज़ी बराबर मिलती रहेगी। 

बाइबिल कहती है कि इस ज़मीन पर बाबा आदम तब आए जब उन्हें हव्वा माता ने एक फल खिलाया, जिसे खाने से परमेश्वर अल्लाह ने मना किया था।

आत्मनिर्भर बनने के लिए इस एंगल से देखें तो अगर मर्द को ज़मीन पर औरत कुछ खिलाकर लाई है तो अब मर्द को इस ज़मीन पर ज़िन्दा रहने के लिए औरत से अपने खाने पीने का इंतेज़ाम करना चाहिए।

जब तक इस ज़मीन पर औरत है, तब तक मर्द को रोज़ी मिलती रहेगी। बस शर्त यह है कि आप औरत को सम्मान दें और सम्मान के साथ उसे सामान भी दें।

पवित्र क़ुरआन में यह नहीं है कि हव्वा माता ने बाबा आदम को फल खिलाया। उसमें दोनों के फल चखने का ज़िक्र है कि दोनों ने चखा।

आत्मनिर्भर बनने के लिए अगर इस पहलू से देखें तो आपकी आमदनी डबल हो जाती है क्योंकि अब आप मर्द को भी सम्मान के साथ सामान देकर कमाई कर सकते हैं।

सम्मान देने से बहुत कमाई होती है। मैं किसी लेख में आपको यह बात खोलकर बताऊंगा कि सम्मान देकर लोग कैसे कमा रहे हैं?

दरअसल औरत अपने वुजूद की ख़ूबियों को मनवाना चाहती है। वह दिन रात मेहनत करती है। वह सौ अच्छे काम करती है। उनकी सराहना कोई नहीं करता लेकिन अगर उससे एक काम बिगड़ जाए तो सास, ननद और पति उसे खरी खोटी सुना देते हैं। 

औरत यह सुनने को तरस जाती है कि 'तुम बहुत अच्छी हो। तुम पूरे घर का बहुत अच्छी तरह ध्यान रखती हो। तुम्हारी वजह से ही घर इतनी अच्छी तरह चल रहा है। इस घर के लिए तुमने बहुत क़ुर्बानियाँ दी हैं। सच बात यह है कि मैंने तुम जैसी भली औरत नहीं देखी जो सबको ख़ुश देखना चाहती है।'

ये अल्फ़ाज़ वे आल्फ़ाज़ हैं। जिन्हें हरेक औरत सुनना चाहती है लेकिन कोई भी उसे इन अल्फ़ाज़ के साथ सम्मान नहीं देता। तंग आकर औरत अपने मुंह से ख़ुद ये बातें जताने लगती है ताकि घर के दूसरे लोग कम से कम 'हाँ' तो करें लेकिन उसे जवाब में यह सुनने को मिलता है कि तुम कुछ अनोखा नहीं करतीं। हर औरत यही करती है वग़ैरह वग़ैरह।

जब आप सम्मान देते हैं तो आप औरत की सबसे बड़ी भूख पूरी करते हैं। वह सामान किसी भी जगह से लेने के बजाय आपसे सामान लेना पसंद करेगी क्योंकि दूसरे सिर्फ़ सामान देते लेकिन आप सम्मान के साथ सामान देते हैं।

आप अपने दिल पर नज़र रखें। जब भी किसी लड़की या औरत को देखकर आपके दिल में उसके बारे में घटिया ख़याल आएं तो आप फ़ौरन अपने दिल से उस ख़याल को हटा दें और ख़ुद से कहें कि मैं औरत का सम्मान करता हूँ।

औरत के बारे में घटिया ख़याल रखने वालों की रोज़ी पर बुरा असर पड़ता है। जो लोग औरतों के साथ बुरे काम और बुरा सुलूक करते हैं, वे बर्बाद हो जाते हैं। जो लोग अपनी बीवी से लड़ते हैं, उनकी रोज़ी ठप्प हो जाती है।

मेरे एक दोस्त डाक्टर हैं। कुछ साल पहले मियाँ बीवी में झगड़ा रहता था। जब सुबह सुबह वह झगड़े से निपटकर अपने क्लीनिक पर आते थे तो उनके दिमाग़ का फ़ास्फ़ोरस जल चुका होता था और वह मरीज़ को सही प्रेस्क्रिप्शन नहीं दे पाते थे। नतीजा यह हुआ कि क़र्ज़ चढ़ गया और क्लीनिक ठप्प हो गया।

अपनी बीवी को भी सम्मान दो। 

चाहे फल हव्वा माता ने खिलाया या दोनों ने खाया और चाहे उसके बाद उन्हें जन्नत (बाग़) से निकलने का हुक्म हुआ और जो कुछ भी हुआ। मैं उस क़िस्से की डिटेल में नहीं जा रहा हूँ क्योंकि इस वाक़ये में बाइबिल और क़ुरआन के बयान में फ़र्क़ है। जिस बात में फ़र्क़ है, मैं उसे यहाँ बयान नहीं करूंगा।

मैं यह कहना चाहता हूँ कि चाहे जो मुश्किल पेश आई। आदम और हव्वा आपस में नहीं लड़े। वे एक दूसरे को सम्मान देते रहे। जब पति पत्नी आपस में एक दूसरे को सम्मान देते हैं तो वे अपनी जन्नत ख़ुद बना लेते हैं।

हम सबका मिशन हक़ीक़त में जन्नत (बाग़) बनाना है। इसलिए जब आप जन्नत के रीहान यानी ख़ुश्बूदार पौधों जैसे पौधे बेचते हैं और अपने जीवनसाथी को सम्मान देते‌ हैं, जब आप अपने कस्टमर को सम्मान देते हैं तब आप अपने घर को और दूसरों के घरों को जन्नत बना रहे होते हैं।

जन्नत बनाना हम सबके दीन धर्म में पवित्र कर्तव्य और फ़र्ज़ है। जब हम अपने दीनी फ़र्ज़ को इल्म और हिकमत के साथ अदा करते हैं तब हमें नेचुरली रोज़ी भरपूर मिलती है।

#mission_mauj_ley कहता है कि

दीन पर चलिए

रोज़ी भरपूर पाईये

अल्हम्दुलिल्लाह!

Part 13

आप जानते हैं कि मैं विश्व गुरू हूँ और आप पूरे विश्व की पहली ओपन यूनिवर्सिटी में बिना डोनेशन और बिन फ़ीस दिए घर बैठे बिल्कुल मुफ़्त पढ़ रहे हैं। इसके लिए आपको शुक्रगुज़ार होना चाहिए और इस पाक और फ़ायदेमंद इल्म और हिकमत को ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करना चाहिए।

मैंने ग्लिसरीन बेस सोप में सबसे ज़्यादा इफ़ेक्टिव मुल्तानी मिट्टी के सोप ( #mudsoap) को पाया है। हमारे एक परिचित बेस्ट असली ग्लिसरीन सोप बनाते हैं। उन्होंने मुझे अपने दूसरे साबुनों के साथ मड सोप भी दिया था। मेरी बहनों और बेटियों ने इसे इस्तेमाल किया और अपनी स्किन पेशेंट्स को इस्तेमाल कराया तो उन सबकी स्किन वैसी ही निखरी हुई, ताज़ा और ग्लोइंग हो गई, जैसी वे चाहती थीं। 

अल्हम्दुलिल्लाह!

आप कालोनी में डोर टू डोर माल पौधे, फ़ेस पैक और साबुन बेचना नहीं चाहते तो आप अपनी कैनोपी या गाड़ी उस बाज़ार में खड़ी कर दें, जहाँ सबसे ज़्यादा औरतें अपने दुपट्टे लेने आती हैं‌। वहां कपड़े, चूड़ी और ज्वैलरी की दुकानें भी होंगी। बस, यही जगह आपकी रोज़ी के लिए सबसे ज़्यादा सूटेबल है।

जो लोग हाथ पैर से कमज़ोर हैं फ़िज़िकली चैलेंज्ड पर्सन हैं, या बूढ़े औरत मर्द हैं या बच्चों की देखभाल की वजह से घर नहीं छोड़ा जा सकता। वे अपने घर के बाहर पौधे और प्रोडक्ट्स रखकर उन्हें सेल करना शुरू करें। एक मैसेज रिकार्ड करके उसे एक बड़े या छोटे स्पीकर से उस रास्ते से आने जाने वालों को सुनाते रहें। उस मैसेज के ज़रिए सबको अपने प्रोडक्ट्स के फ़ायदों के बारे में बार बार बताएं।

हिप्नोटिज़्म का सबसे आसान तरीक़ा

याद रखें कि हिप्नोटिज़्म का सबसे बेसिक पॉइंट है रिपीटेशन। जब एक ही मैसेज रिपीट होकर लोगों के मन में जाता है तो लोग उसे सच मान लेते हैं। जब लोग आपके मैसेज को बार बार सुनेंगे तो कुछ दिन बाद वे आपसे चीज़ें ज़रूर ख़रीदेंगे और जब उन्हें सचमुच रिज़ल्ट मिलेगा तो वे उसे बार बार ख़ुद ख़रीदेंगे और दूसरे उन लोगों को भी बताएंगे, जिन तक आप ख़ुद कभी न पहुंच पाते।

अगर आप मार्कीट में पौधे प्रोडक्ट्स बेचते हैं तो आप अपनी बहन बेटी या वाईफ़ को होममेड ग्लिसरीन सोप बनाना सिखा दें। आप साबुन बनाने पर एक दो किताब और दस बीस वीडियोज़ देख लेंगे तो आप घर पर ग्लिसरीन सोप बना लेंगे।

दुनिया का सबसे अच्छा और सस्ता नेचुरल फेयरनेस लोशन

मैं एक #नेचुरोपैथ हूँ। आप मेरे शागिर्द हैं। मैं फेयरनेस के लिए ज़्यादा माल ख़र्च करने के हक़ में नहीं हूँ। आप भी महंगे केमिकल्स वाले प्रोडक्ट्स हरगिज़ यूज़ न करें। अब मैं आपको एक अनोखे फेयरनेस लोशन का नुस्ख़ा दे रहा हूँ:

सामग्री

1. गुलाब जल असली हमदर्द या किसी और अच्छी कम्पनी का बना हुआ। आम कास्मेटिक्स की दुकानों पर बिकने वाला गुलाब जल इसमें काम न देगा।

2. ग्लिसरीन

3. नींबू का रस छना हुआ। उसके रेशों को अच्छी तरह कुचल कर और दबाकर सारा रस निकाल लें।

इन तीनों चीज़ों को बराबर मात्रा में लेकर एक ख़ूबसूरत काँच की शीशी में डालकर अच्छी तरह मिक्स कर लें। आप इसे कामर्शियल लेवल पर भी बना सकते हैं।

आप रात को सोते वक़्त थोड़ा सा लोशन चेहरे गर्दन और खुले अंगों पर लगा लें। सुबह को मुल्तानी मिट्टी से या मड सोप से धो लें। आप पहले दिन ही अपनी आँखों से चमत्कार देखेंगे।

कमाल की बात है कि मैंने इसे कभी ख़ुद एक बार भी नहीं लगाया। मैं इस बात से ख़ुश हूँ कि रब ने मुझे बेस्ट सांचे (अहसने तक़्वीम best mould) पर बनाया है। देखें पवित्र क़ुरआन की यह आयत:

لَقَدْ خَلَقْنَا الْإِنسَانَ فِي أَحْسَنِ تَقْوِيمٍ 

निस्संदेह हमने मनुष्य को सर्वोत्तम संरचना के साथ पैदा किया.

We have indeed created man in the best of moulds" ( #HolyQuran 95:4)

आपका रंग जैसा भी है, आप उसे एक्सेप्ट करें। आपका नाक नक़्श जैसा भी है, आप उसमें दूसरों से तुलना करके कमियां न निकालें। आप जैसी भी हैं, आप ख़ुद को उसी रूप में एक्सेप्ट करें। आपकी बॉडी एक मिरर है। जिसमें आपकी चेतना (consciousness) का रेफ़्लेक्शन ज़ाहिर हो रहा है। आपकी चेतना दूसरी चेतना से अलग और ख़ास है। इसलिए वह दूसरों की फ़ोटो कापी नहीं है। कभी दूसरों की फ़ोटो कापी न बनें। इससे आपकी ख़ासियत दब जाएगी, जो दुनिया में सिर्फ़ आपमें ही है, किसी दूसरे में नहीं है।

अंग्रेज़ी भाषा के शब्द मेक अप का अर्थ है कमी पूरी करना। जब आप मेकअप करती हैं तो आप यह मानती हैं कि आपके रूप रंग में कमियाँ हैं।

अरबी भाषा का शब्द है ज़ीनत (सजावट)। यह शब्द क़ुरआन में भी आया है। हमारा रब जो हमारी कमियाँ सबसे ज़्यादा जानता है, उसने ज़ीनत (सजावट) का हुक्म दिया है कि जब नमाज़ के लिए जमा हों तो ज़ीनत इख़्तियार करें।

आप एक बार मेकअप और ज़ीनत के कांसेप्ट को ख़ूब समझ लें ताकि आप कभी मेकअप न करें, हमेशा ज़ीनत इख़्तियार करें।

मेकअप सेल्फ़ क्रिटिसिज़्म और तनाव को प्रोमोट करता है। जिससे आपकी रोज़ी और तरक़्क़ी में रूकावट होती है। जब आप ज़ीनत (decoration) करते हैं, तब आप शाँत और ख़ुश होते हैं। आपकी ख़ुशी ख़ुशहाली के रूप में ज़ाहिर होती है। इस बात को अच्छी तरह समझ लें कि आपके कांसेप्ट और आपकी मनोदशा ( mood & #mentalattitude ) का आपकी ख़ूबसूरती और आपकी रोज़ी पर बहुत गहरा असर पड़ता है। इसलिए जब आप अपने बाहरी हालात में रोज़ी के रास्ते बंद पाएं तो आप उन्हें अपने अंदर खोलें। इसके लिए आपको बेहतरीन कांसेप्ट और बेहतरीन एटीट्यूड की ज़रूरत है, जो कि सूरह अलफ़ातिहा में मौजूद है।

अलफ़ातिहा #alfatihah का मतलब है खोलने वाली। अलफ़ातिहा से क़ुरआन खुलता है। अलफ़ातिहा से हरेक ख़ैर खुलती है, जो बंद है।

कैसे खुलती है?

इसे हम आगे किसी लेख में बताएंगे।

इन् शा अल्लाह!

Part 14

सूरह फ़ातिहा 'अल्हम्दुलिल्लाह' से शुरू होती है। जिसका मतलब है: 'अल्लाह का शुक्र और ख़ास तारीफ़ है।'

सूरह फ़ातिहा से क़ुरआन मजीद खुलता है और सूरह फ़ातिहा शुक्र और तारीफ़ के इन दो शब्दों से खुलती है।  रब के शुक्र से और उसके गुणगान से हरेक अच्छी नेमत का रास्ता खुलता है।

مَنْ لَمْ یَشْکُرُ النَّاسَ لَمْ یَشْکُرُ اللّٰہَ (الترمذی) 

नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की एक शिक्षा का भावार्थ है: जिसने इंसानों का शुक्रिया अदा न किया, उसने अल्लाह का शुक्र भी अदा नहीं है।

इस शिक्षा से पता चला कि इंसानों का भी शुक्रिया अदा करना है। शुक्र क़ुरआनी हिकमत (Qur'anic wisdom) की वह बुनियाद है जो रब ने हकीम लुक़मान को दी थी, जो अपनी हिकमत (wisdom) के लिए ही जाने जाते हैं:

और यक़ीनन हम ने लुक़मान को हिकमत दी कि तुम अल्लाह का शुक्र करो और जो अल्लाह का शुक्र करता है-वह अपने ही फ़ायदे के लिए शुक्र करता है और जिसने नाशुक्री की (तो अपना बिगाड़ा), हक़ीक़त में अल्लाह ग़नी (निस्पृह), प्रशंसनीय है।

 -पवित्र क़ुरआन 31:12

पवित्र क़ुरआन की आयतों में बार बार यह बात आई है कि जो लोग अपने चारों तरफ़ मौजूद निशानियों में विचार नहीं करते और शुक्र नहीं करते, वे लोग अज़ाब (कष्ट) में पड़ते हैं। उनकी ज़िंदगी तंग और कठिन हो जाती है।

इन आयतों का मक़सद एक रब के होने की पहचान कराना और उसकी दी हुई अक़्ल और दूसरी शक्तियों का रचनात्मक इस्तेमाल करना सिखाना है ताकि आप अपना और सबका भला कर सकें।

शुक्र का एटीट्यूड (attitude of gratitude) बेस्ट एटीट्यूड है। जब आपको ज़िंदगी में कष्ट हो तो आप जान लें कि क़ुरआन मजीद के अनुसार शुक्र की कमी आपके कष्ट का असली कारण है।

जिसका हल यह है कि

1. आपको शुक्र ज़्यादा करना है।

2. आपको ज़्यादा इल्म और ज़्यादा हिकमत (more knowledge & wisdom) से काम लेना है।

जब इंसान में शुक्र का एटीट्यूड डेवलप हो जाता है और वह अक़्ल से काम लेने लगता है तो उसे रोज़ी भरपूर मिलती है।

दीनी तालीम देने वाले लोग अल्लाह का शुक्र अदा करना सिखाते हैं। आप इस सब्जेकट पर उनकी लिखी हुई किताबें पढ़े। ख़ुद उनके पास जाकर अल्लाह का शुक्र अदा करना सीखें।

हमारा सब्जेक्ट आत्मनिर्भरता है और शुक्र बंदे की शक्ति है। जब भी आप किसी काम की नीयत करके शुक्र करते हैं तो आपको अपना काम बनाने के लिए माफ़िक़ मौक़े, लोग और साधन नज़र आने लगते हैं। इसलिए आज हम आपको शुक्र की शक्ति से रोज़ी का सीधा रास्ता खोलना सिखाएंगे। रोज़ी का सीधा रास्ता यह है कि किसी तरह भी जायज़ तरीक़े से उनसे जुड़ जाओ, जो भरपूर रोज़ी कमा रहे हैं।

आप उनसे कैसे जुड़ेंगे?

आज हम आपको यही सिखाएंगे।

आपको कालिज और यूनिवर्सिटी में रोज़ी कमाने के लिए कई तरह के सब्जेक्ट पढ़ाए गए, बहुत अच्छा काम किया लेकिन आपको सबसे अच्छा काम शुक्र करना नहीं सिखाया गया। स्टूडेंट्स को शुक्र की ताक़त के बारे में नहीं पढ़ाया जाता। शुक्र का विलोम नाशुक्री है, जिसे अरबी भाषा में कुफ़्र कहते हैं। जो शुक्र नहीं करता, वह कुफ़्र अर्थात् कृतघ्नता ज़रूर करता है। कृतघ्न व्यक्ति के विषय में एक हिंदी लेखक लाजपत राय सभरवाल ने बहुत सही लिखा है:

'कृतघ्न कभी संतुष्ट नहीं हो सकता और वह सुखी भी नहीं हो सकता है। वह सदा अपने प्रति दिए गए सहयोग को संशय की दृष्टि से देखता है और यह जताता है कि उसके प्रति कितना गलत किया गया है। वह सर्वाधिक बुरा उनका करता है, जो उसे सहयोग देने वाले होते हैं। इसकी परिणति होती है कि एक दिन उसके प्रति सभी लोग सहयोग करना बंद कर देते हैं।'

ललित गर्ग ने लिखा है:

'महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में भी इस बात का उल्लेख किया है कि परमेश्वर ने जो कुछ आपको दिया है उसके लिए उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करो। हालांकि इसका विज्ञान बस इस छोटे से वाक्य में समाहित है कि जितना आप देंगे उससे कहीं अधिक यह आपके पास लौटकर आएगा, लेकिन इसे समझ पाना हर किसी के वश की बात नहीं है।'

मैंने ख़ुद बाल्मीकि रामायण में श्री राम का दूसरों को बहुत ज़्यादा कृतज्ञता ज्ञापन (शुक्र) करना पढ़ा है। जब लोग श्री राम का यह गुण अपना लेंगे तो उनके सब कष्टों का निवारण अवश्य होगा। यह विधि का विधान है। हम आपको विधि का विधान इस लेख के अंत में बताएंगे।

हरेक पार्टी की सरकार में कुछ लोग बेरोज़गारी के लिए सरकार को दोष देते हैं। चाहे किसी भी पार्टी की सरकार हो, कुछ लोग उसे दोष ज़रूर देते हैं। अगर आप बेरोज़गार हैं और आप सरकार को दोष देते हैं तो याद रखें कि सरकार भी आपके कारण बनती है। चाहे आपने उसे सपोर्ट किया था या आपने उसके विरोध में वोट दिया था और विरोधियों का वोट बंट गया था; दोनों हालत में ज़िम्मेदारी आपकी भी है। सरकार को दोष देने से आपका मसला हल नहीं होगा।

आपका मसला शुक्र से हल होगा।

जब रब अपने बंदों को अच्छी चीज़ें देता हैं तो उन चीजों को अपने बंदों तक पहुंचाने के लिए वह कुछ इंसानों को ज़रिया बनाता है। उन इंसानों का शुक्रिया करना भी वाजिब है।

आप अपने चारों तरफ़ देखिए। आपको स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, दूध की डेयरी, लकड़ी की आरा मशीनें, चावल और तेल की मिलें,  शुगर मिल, ख़ूबसूरत नर्सरी, फल व सब्ज़ी मंडी, ज्वैलरी के शो रूम, आटोमोबाइल्स के शो रूम और बहुत सी इंडस्ट्रीज़ नज़र आएंगी। आपको सड़कें और पुल नज़र आएंगे। आपको नई कालोनियां और नई कोठियाँ नज़र आएंगी। आपको थाने, कचहरी और कलेक्टर के आफ़िस नज़र आएंगे। आपको चौराहों पर बड़े बड़े होर्डिंग्स नज़र आएंगे, जो आपको नए साल की और हर त्यौहार की मुबारकबाद देते हैं। आपको चैरिटेबल हॉस्पिटल दिखेंगे। ज़ाहिर है कि इन सबके कामों से आपका बहुत भला हुआ है। इन सब चीज़ों से आपकी ज़िन्दगी आसान हुई है। अगर आपने इन चीज़ों को बनाने और मेनटेन करने वालों को एक एक बार भी शुक्रिया कहा होता तो आपको रोज़ी का सीधा रास्ता मिल गया होता। अब आप ये काम करें:

1. सबसे पहले आप जैसी रोज़ी पाना चाहते हैं, उसकी अपने दिल में बिल्कुल साफ़ नीयत करें। मिसाल के तौर पर आप नौकरी चाहते हैं या कोई चीज़ बेचना चाहते हैं? आप जो भी चाहते हैं, उसकी नीयत करें। अगर आप अपने दिल में उलझे हुए हैं और कुछ तय नहीं है कि क्या करना चाहते हैं तो बस आप रोज़ी की नीयत करें। आने वाले वक़्त में हालात सब कुछ आपके सामने साफ़ कर देंगे कि आपको क्या करना है!

2. अब आप हिकमत के साथ पेन और पेपर उठा लें और उन लोगों की एक लिस्ट बना लें। जिनका शुक्रिया आपको अदा करना है। आप सबसे पहले इस लिस्ट में अपने माँ-बाप, दादा-दादी और नाना-नानी का नाम लिख लें।

3. अब आप यूट्यूब पर एक चैनल, blogger.com पर अपना एक ब्लाग और फ़ेसबुक पर एक अकाउट या पेज बना लें। ये तीनों बिल्कुल मुफ़्त बन जाएंगे।

4. अब आप सबसे पहले अपने माँ बाप और पूर्वजों के अच्छे कामों का ज़िक्र करते हुए उनका शुक्रिया अदा करें। आप इस शुक्रिया पर एक अच्छी वीडियो बनाकर यूट्यूब चैनल पर, अपने ब्लाग पर और फ़ेसबुक पर अपलोड कर दें। आप तीनों जगह चैनल का और अपना एक ही नाम रखें ताकि लोगों को सर्च करने में आसानी रहे।

5. अब आप एक ब्लागर हैं। अब आप एक चैनल के मालिक हैं। आप अपने अच्छे डिज़ायन के विज़िटिंग कार्ड छपवा लें। अगर आपके पास बाइक और अच्छे कैमरे वाला मोबाइल है तो ठीक है वर्ना किसी बाइक और अच्छे कैमरे वाले मोबाईल के मालिक लड़के को अपना असिस्टेंट बना लें।

6. इसके बाद आप एक ब्लागर और चैनल वाले की हैसियत से अपनी लिस्ट के अनुसार पावरफ़ुल लोगों से मोबाइल काल पर वक़्त लेकर मिलना शुरू करें।

आपके ज़िले में जितने लोग अच्छे काम कर रहे हैं, जिनके कामों का फ़ायदा सबको मिल रहा है; आप उनके नाम अपनी लिस्ट में लिख लें। ये लोग चाहे डॉक्टर, बिज़नेस मैन, इंडस्ट्री वाले, प्रशासनिक अधिकारी, बिल्डर्स और नेता हों या होटल और मैरिज हॉल के मालिक हों; आप हरेक फ़ील्ड के टॉप के लोगों के नाम अपनी लिस्ट में लिख लें। आप सिर्फ़ 30-40 नाम लिखें। इस लिस्ट की तैयारी में आप अख़बारों में छपने वाली ख़बरों से मदद ले सकते हैं। जो लोग आपको समाचार पत्रों में सम्मान देते और लेते हुए मिलें, ये वही लोग हैं; जिनमें शुक्रिया की ज़बर्दस्त भूख है। ये लोग चाहते हैं कि समाज इन्हें और इनके कामों को पहचाने। इसीलिए ये लोग मुशायरों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सारा ख़र्च उठाते हैं। जो लाखों रूपए होता है। यही लोग शहर में हर चौराहे पर बड़े बड़े होर्डिंग्स पर अपने फ़ोटो छपवाकर लगवाते हैं ताकि सब लोग इन्हें पहचानें। ये लोग सड़क पर द्वार और मदरसों और धर्म शालाओं में कमरे बनवाते हैं ताकि लोग इन्हें पहचानें। इनमें कुछ लोग सिर्फ़ प्रचार पाने के लिए ऐसा करते हैं और कुछ लोगों ने समाज की भलाई में सचमुच काफ़ी काम किया होता है। जिन लोगों ने भलाई के काम किए हैं, आप उन्हें पहचानें। जो लोग चुनाव में खड़े हुए थे, आप उन्हें पहचानें। ये चाहे जीत गए और चाहे हार गए लेकिन इनका मक़सद था कि लोग इन्हें पहचानें। इनका मक़सद पूरा हो गया। ये सब करोड़पति लोग हैं। ये लोग समाज में ऊंचा मक़ाम रखते हैं। ये लोग बहुत लोगों को नौकरियाँ देते हैं। ये लोग अपनी पहचान कराने के लिए करोड़ों रूपए ख़र्च करते हैं। जिससे दर्जनों और सैकड़ों परिवार पलते हैं। 

गुज़रे हुए वक़्त में नवाब और रईस लोग समाज की भलाई में बहुत रूपया दान देते थे। बहुत से कवि और शायर उनके कामों की तारीफ़ (मन्क़बत वग़ैरह) करके अपना परिवार पालते थे। आज भी बहुत लोग इस तरीक़े से अपना परिवार पाल रहे हैं। 

बड़े शहरों में इसे मक्खन लगाना कहते हैं। दूसरे लोग इसे चमचागिरी और चापलूसी कह सकते हैं। इसे कुछ लोग अपने मतलब के लिए गधे को बाप बनाना कहते हैं। यह धोखा और फ़रेब होता है। इसमें दिल की सच्चाई शामिल नहीं होती। मॉडर्न जमाने में यह अपना काम निकालने की ट्रिक मानी जाती है। यह ईगो मसाज होता है। आपको यह सब नहीं करना है। आपको अपने ज़मीर और आत्म सम्मान के ख़िलाफ़ कुछ नहीं करना है।

7. चमचागिरी करना और गधे को बाप बनाना यह है कि बुरे लोगों के बुरे कामों को भी सही कहकर उनकी झूठी तारीफ़ की जाए।  आपको यह काम कभी नहीं करना है।

8. आपको अच्छे लोगों के भले कामों की दिल से सचमुच क़द्र और तारीफ़ करनी है। आपको उनके अच्छे कामों को सब लोगों के सामने लाकर उनका शुक्रिया अदा करना है। जिसके वे सचमुच हक़दार हैं।

उन्होंने अच्छे काम किए हैं। समाज पर वाजिब है कि वह उन्हें शुक्रिया कहे। सारे समाज की तरफ़ से आप उन्हें शुक्रिया कहें। आप उन्हें अपने चैनल की तरफ़ से एक निशान (स्मृति चिन्ह momento) देकर सम्मानित भी करें।

9. जब आप उन्हें सम्मानित करें तो आप उस घटना की वीडियो बनाकर अपने चैनल पर अपलोड कर दें। ऐसा करके समाज में लगातार आप ख़ुद ज़्यादा सम्मानित आदमी बनते चले जाएंगे। 

10. आपने 25-30 साल तक पढ़ा और बेरोज़गार बने। अब आप सिर्फ़ एक साल इस तरीक़े से समाज के पावरफ़ुल लेकिन भले लोगों को शुक्रिया कहते रहें और अपने दिल में रोज़ी या नौकरी या बिज़नेस की अपनी नीयत रखें, जो भी आपकी नीयत हो। इस एक साल में वह मौक़ा ख़ुद आपके सामने आ जाएगा। ये लोग आपको पसंद करने लगेंगे क्योंकि आपने इन्हें और ज़्यादा लोगों में पहचान दी है, जो ये चाहते हैं। आपने इनकी क़द्र और इज़्ज़त बढ़ाई है, जो ये चाहते हैं। आपकी बनाई वीडियो को इनके बाद की नस्लें भी देख पाएंगी। आपने इनके कामों का ज़िक्र क़ायम और बाक़ी कर दिया है। आपने उनके लिए सचमुच यह बड़ा काम किया है। ये अब आपके परिचित हैं। इनमें से कुछ लोग बार बार मिलने से आपके दोस्त बन जाएंगे। ये लोग आपको बड़े इवेंट्स पर इन्वाईट करेंगे। जहाँ आप और नई बड़ी हस्तियों से मिलेंगे। आप उनका भी अपने चैनल के ज़रिए सलीक़े से शुक्रिया अदा करें।

11. इन्हीं लोगों में से कोई ख़ुद आपको अपने साथ किसी काम में लगा लेगा। कुछ वक़्त बाद आपके सामने कई अच्छी नौकरियाँ ख़ुद आ जाएंगी। जिनमें से आप अपनी पसंद की नौकरी चुन सकते हैं। अगर आप उनकी इंडस्ट्री या उनके शोरूम की कोई चीज़ बेचना चाहेंगे तो वह आपको बिना गारंटी की रक़म दिए मिल जाएगी। हो सकता है कि वह चीज़ आपको बेचकर रक़म अदा करने की शर्त पर बिना रूपए दिए मिल जाए। अगर आप नौकरी करना चाहते हैं तो जब तक आपको नौकरी मिले, तब तक आप अपने शहर के किसी बिजनेसमैन की कोई चीज़ अपने चैनल पर बेच सकते हैं। आप जो वीडियो बनाएं। उसके बीच में और आख़िर में उस चीज़ का एडवरटाइज़मेंट डाल सकते हैं। आप अपनी वीडियो को अच्छी एडिटिंग से उम्दा बनाकर ही अपने चैनल पर अपलोड करें।

जब आप वीडियो बनाएं, तब आपका लुक, आपकी ड्रेस और आपकी लोकेशन काफ़ी रिच हो। शूटिंग के वक़्त जगह पीसफ़ुल हो। आपकी ज़ुबान साफ़ और फ़र्राटेदार हो। किसी बात पर अटक जाएं तो आप उसे दोबारा दोहराएं और उस बात को एडिटिंग में काट कर साफ़ कर देंं। अच्छी बात यह है कि जो कुछ आपको बोलना है, आप उसे पहले डायरी पर लिखकर 3-4 बार पढ़ लें। इससे आपका माइंड क्लियर हो जाएगा कि बोलना क्या है!

समाज के पावरफ़ुल लोगों के कामों को वीडियो चैनल पर शानदार  तरीक़े से कैसे पेश किया जाता है?

आप दूसरे वीडीयोज़ देखकर यह बात ज़रूर समझ लें।

आख़िर में एक बार फिर यह बात अच्छी तरह समझ लें कि जो लोग नशे के व्यापारी और कमज़ोरों को सताने वाले दबंग लोग हैं, आपको उनकी तारीफ़ नहीं करनी है। आपको समाज को नुक़्सान पहुंचाने वाले लोगों को अपना वक़्त और अपनी एनर्जी नहीं देनी है। आपको अच्छे लोगों की भी चमचागिरी और चापलूसी नहीं करनी है। आपको किसी से नौकरी नहीं माँगनी है। वह आपको ख़ुद मिलेगी, इन् शा अल्लाह। आपको उनके सामने अपनी ग़रीबी और ज़रूरत नहीं ज़ाहिर करनी है। आपको ख़ुद को उनके क़दमों पर नहीं बिछाना है‌। आपको उन्हें सम्मान देना है तो आपको ख़ुद भी आत्म सम्मान के साथ रहना है। आपको पावरफ़ुल लोगों को उन कामों का सेहरा नहीं देना है, जो काम उन्होंने किए ही नहीं। आपको सिर्फ़ उतनी बात कहनी है जो कि फ़ैक्ट है और जिससे शुक्रिया अदा हो सके। जब हम अच्छे लोगों को सम्मानित करते हैं तो उनमें अच्छे काम करने का जज़्बा और ज़्यादा बढ़ जाता है और दूसरे लोगों में भी अच्छे काम करने का जज़्बा पैदा होता है। आपको इसी नीयत से अपना काम करना है।

जैसे प्रोटीन, विटामिन्स और मिनरल्स न मिले तो इंसान का शरीर बीमार हो जाता है। ऐसे ही अगर अच्छे काम करने वालों को समाज शुक्रिया न कहे तो अच्छे काम करने वाले मायूस होकर समाज की भलाई करना छोड़ देते हैं। यह पूरे समाज की बीमार सोच को ज़ाहिर करता है। इससे समाज के नाशुक्रे लोग कष्ट में पड़ते हैं। ये नाशुक्रे लोग अपना कष्ट दूर करने के लिए जिसे अपना मसीहा बना लेते हैं, वह अपने फ़ैसलों से इनके कष्ट और ज़्यादा बढ़ा देता है क्योंकि रब यह कह चुका है:

 تَاَذَّنَ رَبُّكُمۡ لَٮِٕنۡ شَكَرۡتُمۡ لَاَزِيۡدَنَّـكُمۡ‌ وَلَٮِٕنۡ كَفَرۡتُمۡ اِنَّ عَذَابِىۡ لَشَدِيۡدٌ‏ ﴿۷﴾

जब तुम्हारे रब ने सचेत कर दिया था कि 'यदि तुम कृतज्ञ हुए तो मैं तुम्हें और अधिक दूँगा, परन्तु यदि तुम अकृतज्ञ सिद्ध हुए तो निश्चय ही मेरी यातना भी अत्यन्त कठोर है।'

-पवित्र क़ुरआन 14:7

Part 15

सब दीन-धर्मों का समान सूत्र है शुक्र। मौलाना शम्स नवेद उस्मानी रहमतुल्लाहि अलैह सब धर्मों के समान सूत्र से शाँति और सद्भावना क़ायम करने की शिक्षा देते थे जो कि कल्याण के लिए ज़रूरी है। जहाँ शाँति और सद्भावना होती है, वहाँ खेतों और फ़ैक्ट्रियों में ज़्यादा उत्पादन होता है। वहाँ नई इंडस्ट्रीज़ लगती हैं और विदेशी व्यापारी इन्वेस्ट करते हैं। आज हमारे देश में प्रोडक्शन और इन्वेस्टमेंट पहले से कम है क्योंकि शाँति और सद्भावना में कमी आई है। जिससे रोज़गार में कमी आई है। यह दौर जितना भी चलेगा, इस दौर में भी विधाता के विधान के अनुसार शुक्रगुज़ारों को उनकी ज़रूरत का सामान ज़रूर मिलेगा।

अब हम समान सूत्रों से कल्याण पाने के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए सब धर्मों के समान सूत्र से सबको शुक्र से इज़्ज़त वाली रोज़ी कमाना सिखा रहे हैं। हमारे दादा अब्दुल मुनीफ़ ख़ाँ साहिब की रोज़ी का ज़रिया ज़मीनें ख़त्म होने के बाद नौकरी थी। वह बहुत शुक्रगुज़ार आदमी थे। उनकी आमदनी लिमिटेड थी लेकिन तब भी वह एक स्टूडेंट (तालिबे इल्म) को रोज़ दोनों वक़्त खाना देते थे। हमारे शहर में दूर दूर की स्टेट से लड़के पढ़ने आते हैं और कुछ ग़रीब स्टूडेंट्स अपने खाने का इंतेज़ाम नहीं कर  पाते। ऐसे स्टूडेंट्स को शहर के लोग खाना देते हैं और ख़ुश होते हैं कि हमारे रब ने हमें ख़िदमत का मौक़ा दिया। हमारे दादा ऐसे वक़्त में भी खाना लगातार देते थे, जब वह दे नहीं सकते थे। वह तालिबे इल्म को अपनी फ़ैमिली का हिस्सा मानते थे। वह जैसे अपनी फ़ैमिली के लिए खाने का इंतेज़ाम करते थे। वैसे ही वह कठिन वक़्त में भी तालिबे इल्म के खाने का इंतेज़ाम करते थे।

यूसुफ़ ज़ई पठान एजुकेशन को बहुत ज़्यादा अहमियत देते हैं। इनमें कोई अनपढ़ नहीं रह सकता और किसी वजह से अनपढ़ रह जाए तो उसकी बातें सुनने वाला उसे नहीं पहचान सकता कि यह अनपढ़ है। डॉक्टर, प्रोफ़ेसर और मुफ़्तियों के बेटे और भाई की ज़ुबान और नॉलेज भी काफ़ी हो जाती है और कपड़े, जूते और गाड़ी तो एक ही होती है। हमारे वालिद साहब भी ज़िन्दगी भर एक तालिबे इल्म को रोज़ाना दोनों टाईम खाना देते रहे। इसका फ़ायदा मुझे यह मिला कि मुझे ज़िन्दगी में आज तक एक वक़्त भी भूखा नहीं रहना पड़ा। ऐसा ज़रूर हुआ कि मुर्ग़े और बिरयानी को छोड़ दिया कि लगातार रोग़न वाले पकवान खाना ठीक नहीं है और दाल और दही से रोटी और सादा चावल खा लिए।

अल्हम्दुलिल्लाह!

अगर आप ख़ुद खाना चाहते हैं तो आप अपने खाने में से दूसरे ज़रूरतमंद को दें। आपका यह काम आपके लिए फ़ूड की गाऱटी बनेगा। इसीलिए हरेक धर्म में दान और सदक़ा है। अपनी चीज़ में से कुछ हिस्सा दूसरे को देना, रब की नेमत पर शुक्र करने का एक तरीक़ा है। मैंने अपने दादा साहिब और अपने वालिद साहब की शुक्रगुज़ारी से उनका हाल लगातार बेहतर होते देखा है। उनके शुक्र करने का और उनके इल्म को सपोर्ट करने का फ़ायदा उनकी नस्ल को मिला। उनकी नस्ल में एजुकेशन और दौलत व इज़्ज़त बढ़ी। उनके समाज में इज़्ज़दार ओहदों पर पहुँचे। जोकि यूसुफ़ ज़ई क़बीले की रिवायत और पहचान है।

अल्हम्दुलिल्लाह!

आप दूसरों को जो देते हो, वह पलटकर आपको दिया जाता है।

इसलिए अगर आप ख़ुद खाना चाहते हैं तो आप दूसरों को अपने खाने में से दें। आपकी रोज़ी की गारंटी इस हदीस में है:

لا یومن احدکم حتی یحب لاخیہ ما یحب لنفسہ.  ( بخاری و مسلم)

तुम में से कोई भी व्यक्ति ईमान वाला नहीं हो सकता जब तक कि वह अपने भाई के लिए वही पसंद न करे जो कि वह अपने लिए पसंद करता है। (बुख़ारी व मुस्लिम)

आपका विश्वास और आपका ईमान आपकी रोज़ी का इन्तेज़ाम करता है। इसलिए आप लोग अपना ईमान सही करें और शुक्र करें। आत्मनिर्भर बनने के लिए आप दूसरों को उनकी ज़रूरत की चीज़े दें।

मैं #mission_mauj_ley का मेंबर हूँ। मैं गवाही देता हूँ कि शुक्र करने से पूरी मौज आती है। मैं मौज ले रहा हूँ। अब आप भी पूरी मौज लेंगे।

इन् शा अल्लाह!

                               Part 16

ज़िन्दगी का राज़ जानना हो तो आप यह ज़रूर जान लें कि आपकी ज़िन्दगी को आपका नज़रिया कन्ट्रोल करता है। ज़िन्दगी के बेसिकली दो नज़रिए हैं:
1. शुक्र का नज़रिया और
2. नाशुक्री का नज़रिया
नाशुक्री एक बीमारी है और शुक्र इस बीमारी का इलाज है। इसीलिए सूरह अलफ़ातिहा में बीमारी से शिफ़ा (healing) है।
शुक्र करने वाले कम हैं और नाशुक्री करने वाले ज़्यादा हैं। इसीलिए समाज में ख़ुश और ख़ुशहाल लोग कम हैं जबकि नाख़ुश और दुखी लोग ज़्यादा हैं। मेरी 30 साल की रिसर्च के मुताबिक़ दुख का असली कारण नाशुक्री (ungratefulness) है। दुख है तो उसके निवारण का उपाय भी है। मेरी रिसर्च के मुताबिक़ दुख के निवारण का सबसे असरदार उपाय शुक्र करना है।
नाशुक्री से मायूसी पैदा होती है। मायूसी शैतान इब्लीस का गुण है। इब्लीस का अर्थ है मायूस। जो लोग नाशुक्री करते हैं और मायूस रहते हैं। उनके ख़ून में शैतान दौड़ता रहता है। जो जैसा होता है, वैसे ही लोग उसके दोस्त बनते हैं। आज यह क़ानूने क़ुदरत लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन #law_of_attraction कहलाता है।
नाशुक्रे मायूस आदमी के दोस्त नाशुक्रे मायूस ही बनते हैं और वे उसकी बदहाली और बदनसीबी में और ज़्यादा इज़ाफ़ा कर देते हैं। यह एक चक्रव्यूह सा बन जाता है और नर नारी इसमें फंस जाते हैं।
शुक्र का नज़रिया, शुक्र के बोल और शुक्र का अमल जैसे कि दान और सदक़ा देना इस चक्रव्यूह से मुक्ति देता है।

दुख के चक्रव्यूह से मुक्ति पाने का आसान तरीक़ा:
दुख के चक्रव्यूह से मुक्ति पाने का आसान तरीक़ा शुक्रगुज़ार बनना है और शुक्रगुज़ार बनने का तरीक़ा लिखकर और बोलकर शुक्र करना है।
A. जब आप सुबह को उठें तो आप अल्हम्दुलिल्लाह, शुक्रिया या Thank you बोलना शुरू करे। आप दिल ही दिल में बार बार अल्हम्दुलिल्लाह, शुक्रिया या Thank you बोलते रहें। आप जिन लोगों से मिलें, उन्हें भी शुक्रिया और थैंक यू कहें। आप पूरे दिन में एक हज़ार या दो हज़ार बार थैंक यू ज़रूर कहें। इससे आप अपने माईंड को रिप्रोग्राम कर लेंगे। आप लाखों का काम बिल्कुल मुफ़्त कर लेंगे। जैसे कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग से करोड़ों लोग कमा रहे हैं। ऐसे ही करोड़ों लोग माईंड प्रोग्रामिंग (#mind_programming) से कमा रहे हैं। माईंड प्रोग्रामिंग एक आर्ट है। आप इसे सीखकर लाखों रूपया कमा सकते हैं।
B. आज पूरी दुनिया में लाखों लोग अपना नज़रिया बदलने के लिए ग्रेटीटयूड जर्नल लिखते हैं। एक डायरी में अपने मौजूद नेमतों का नाम लिखकर उनके लिए शुक्रिया लिखना ग्रेटीटयूड जर्नल लिखना कहलाता है। आप रोज़ाना 5 नेमतों पर इस तरह शुक्र करें:
1. मैं क्रिएटर का शुक्र करता हूँ क्योंकि मेरे पास ज़िन्दगी और वक़्त है।
2. मैं क्रिएटर का शुक्र करता हूँ क्योंकि मेरे पास ताज़ा और साफ़ हवा है।
3. मैं क्रिएटर का शुक्र करता हूँ क्योंकि मेरे पास माँ बाप हैं।
4. मैं क्रिएटर का शुक्र करता हूँ क्योंकि मेरे पास घर है।
5. मैं क्रिएटर का शुक्र करता हूँ क्योंकि मेरे पास दोस्त हैं।

आप रात को सोने से बिल्कुल पहले अपना आख़री काम यही करें। रोज़ नई 5 नेमतों पर शुक्र करें। इससे आपको अपने नेमत वाला (blessed) होने का यक़ीन आ जाएगा। आपका यक़ीन आपकी ज़िन्दगी में और ज़्यादा नेमतों को खींच लाएगा। जिनमें एक रोज़ी का अच्छा ज़रिया भी होगी।
इन् शा अल्लाह!
इस तरह आप एक दो महीने तक रोज़ लगातार प्रैक्टिस करें। इससे आपके माईंड में शुक्र का नया पैटर्न बनेगा।

C. हर चीज़ की या दूसरों की शिकायत करना छोड़ दें। अपनी ज़ुबान से भी छोड़ दें और पुरानी आदत की वजह से दिल में कोई शिकायत का ख़याल आ जाए तो उसे भी छोड़ दें।
D. अभी दो माह तक दौलत और दौलतमंदों को बुरा समझना और बुरा कहना छोड़ दें। अभी आप ख़ुद को इलाज की हालत में समझें और शुक्र के बोल के अलावा सिर्फ़ काम की बात करें। किसी का शिकायत और विरोध न करें। जब आपका इलाज पूरा हो जाए और रोज़ी का रास्ता दिख जाए और काम अच्छी तरह जम जाए, तब भी शिकायत और विरोध कम करें और तब करें, जब उससे कुछ सुधार की आशा हो।

जब आप शुक्रगुज़ार होकर रोज़ी की नीयत से पवित्र क़ुरआन या अपने धर्म की कोई अच्छी किताब पढ़ते हैं तो आपको उसमें हर पेज और हर लाईन में रोज़ी पाने के कई तरीक़े नज़र आएंगे। जब आप एक नए और पॉज़िटिव माइंड सेट से चीजों को देखते हैं तो पुरानी चीजें नए अर्थ देने लगती हैं। जब आप शुक्र के नज़रिे से सूरह फ़ातिहा पढ़ते हैं तो आपको उसी में रोज़ी पाने के सैकड़ों तरीक़े नज़र आ सकते हैं।
जैसे कि आप यह देख सकते हैं कि रोज़ी पाने का सबसे पहला तरीक़ा लोगों को अपना नज़रिया बदल कर दुखी से सुखी होना सिखाना ही है। आज यूरोप में लाखों लाईफ़ कोच लोगों को शुक्र के नज़रिए की शिक्षा देकर रोज़ी कमा रहे हैं। जब आप शुक्र करना सीखते हैं, ठीक उसी वक़्त आप एक हीलिंग आर्ट भी सीख लेते  हैं। जो आपने सीखा है, आप उसी को सिखा कर अपनी रोज़ी कमा सकते हैं क्योंकि शुक्र आज एक साईंस है। जिसे आप गूगल में 'द साईंस आफ़ ग्रेटीट्यूड' (the science of gratitude) लिखकर सर्च कर सकते हैं।
शुक्र आपकी बॉडी में केमिकल चेंज लाता है। शुक्र आपको एक नई ज़िन्दगी देता है। शुक्र आपको एक नया इंसान बनाता है। शुक्र आपको उन बंधनों से मुक्त करता है, जो संकीर्ण विश्वासों के रूप में आपकी ख़ुदी (चेतना consciousness) को बाँधे रखते हैं। शुक्र उस रेजिस्टेंस को दूर करता है, जो आपकी तरफ़ ख़ैर और दौलत के फ़्लो को रोकता है।
आपकी रोज़ी और आपकी तरक़्की को लिमिटिंग बिलीफ़ और रेज़िस्टेंस रोकते हैं। घरेलू झगड़ों और तलाक़ की वजह लिमिटिंग बिलीफ़ और रेज़िस्टेंस हैं। मन और शरीर को बीमार डालते हैं लिमिटिंग बिलीफ़ और रेज़िस्टेंस। आपकी ज़िन्दगी का कोई पहलू ऐसा नहीं है, जिसे इस वक़्त भी लिमिटिंग बिलीफ़ और रेज़िस्टेंस भयंकर नुक़्सान न पहुँचा रहे हों और आप इनसे ग़ाफ़िल (unconscious) हैं।
धार्मिक उपदेश, न्यूज़, विज्ञापन, स्कूल सिलेबस की शिक्षा और राजनीतिक भाषण सब माईंड प्रोग्रामिंग के ही तरीक़े हैं। सास और ननदें अपनी बहू के ख़िलाफ़ अपने बेटे और भाई के जो कान भरती हैं, वह माईंड प्रोग्रामिंग है। एक पत्नी अपने पति को उसके भाईयों के ख़िलाफ़ जो निगेटिव ख़बरें देती है, उनसे भड़ककर वह अपने भाईयों से लड़ता है और उनसे अलग हो जाता है। यह भी माईंड प्रोग्रामिंग है।
दूसरे लोग आपकी माईंड प्रोग्रामिंग करते हैं और आप इससे भी ग़ाफ़िल हैं। ज़िन्दगी का सबसे बड़ा राज़ यह है कि ज़िन्दगी आपकी है लेकिन दूसरों ने आपके माईंड की प्रोग्रामिंग करके आपके मन को अपना गुलाम बना लिया है और वे आपको कठपुतली की तरह नचाते रहते हैं।

आपको सुखी होना है तो आपको अपने माईंड की रिप्रोग्रामिंग शुक्र से करनी होगी। तब आप ज़िन्दगी में वह मौज ले पाएंगे, जो आप लेना चाहते हैं।
जब आप यह काम कर लेंगे तब आप दूसरों को भी माईंड प्रोग्रामिंग सिखाकर लाखों रूपए कमा सकते हैं। यह बारीक नज़र का काम है। इसे सीखने और करने में वक़्त लगता है। पूरा समाज माइंड प्रोग्रामिंग से चलता है और माइंड प्रोग्रामिंग चेंज करके पूरे समाज को चेंज किया जा सकता है। इस वक़्त पूरा समाज नाशुक्री के तरीक़े पर चल रहा है। इसीलिए समाज के लोग अपनी रोज़ी के रास्ते और साधन नहीं देख पाते।
जब आप रब का शुक्र और अपने ऊपर एहसान करने वाले बंदों का शुक्रिया अदा करते हैं, तब आप रोज़ी के असबाब और साधन देखने के लायक़ बनते हैं।
अब आप सूरह अलफ़ातिहा की चौथी आयत पढ़ेंगे तो आपको उस एक आयत में दुनिया के वे सब काम नज़र आ जाएंगे, जिनसे सारी दुनिया रोज़ी पा रही है।
आपको चौथी आयत में दुनिया के वे सब काम कैसे नज़र आ जाएंगे?
यह बात हम आपको आगे बताएंगे।
इन् शा अल्लाह!

(जारी...)

(जारी...)

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