#kun_fayakoon ka amal कुन कहें और प्लाट पाएं

 कुन कहें और #प्लाट पाएं

मेरे लेखों का मक़सद आप धार्मिक-सामाजिक एकता और सद्भाव समझते होंगे। इस मक़सद के लिए कुछ लोग अच्छा लिट्रेचर लिख रहे हैं। वे सब धर्म ग्रंथों की समान शिक्षा पर लिखते हैं। यक़ीनन मेरे लेखों से धार्मिक-सामाजिक एकता और सद्भाव की भावना बढ़ती है लेकिन यह मेरे लिखने का पहला और असल मक़सद नहीं है। 


मेरे लिखने का पहला और असल मक़सद आपको फ़लाह की राह और कल्याण का मार्ग दिखाना है। मेरा मक़सद आपको परलोक के कल्याण से पहले इसी लोक में कल्याण का मार्ग, आवश्यक भौतिक वस्तुओं को हासिल करना सिखाना है। जितने भी दीनी तब्लीग़ी और धर्म प्रचार के संगठन हैं, उनके मेनिफ़ेस्टो और हदफ़ (लक्ष्य) में यह नहीं है कि वे आपको रोज़ी, कपड़ा, सवारी, मकान, सेहत, जीवन साथी, सफल दोस्त, दौलत, ख़ुशी, सफलता, मुर्ग़ा-पनीर और फल हासिल करना सिखाएंगे। दीनदार लोगों की तालीम इन चीज़ों को अल्लाह की राह में क़ुर्बान करने की होती है न कि इन्हें हासिल करने की। दुनिया की चीज़ों को हासिल करने की कोशिश को वे दुनिया की हवस का नाम देते हैं और वे लोगों को दुनिया की हवस करने से डराते और बचाते हैं। जिसका नतीजा यह हुआ कि मुस्लिम आज दलितों और पिछड़ों से भी ज़्यादा पिछड़ गए। अपने नज़रिए में दुनिया को ठुकराना और फिर उसी को पाने की जुगत में ज़िन्दगी गुज़ारना नज़रिए में तज़ाद (contradiction) है। नज़रिए में टकराव हो तो मुराद हासिल नहीं होती। 

मैं ऐसा मानता हूँ कि दुनिया की अच्छी चीज़ें जायज़ क़ानूनी तरीक़े से पाना दीन पर चलना है। जिससे रब ख़ुश होता है।

मैं ये सब चीज़ें पाना सिखाता हूँ। यही बात मेरे मिशन

'रब के नाम से मौज ले' को मुमताज़ (unique) बनाती है। जिसे मैं शार्ट में #Mission_Mauj_Ley कहता हूँ।

मेरे लेख कापी पेस्ट नहीं हैं, ये मेरी बुलंद सोच और गहरी खोज के नतीजे हैं। यक़ीनन आप ख़ुशनसीब हैं, जो आप बरसों की खोज को मिनटों में घर बैठे हुए पढ़ रहे हैं।

मैं आपको बता चुका हूँ कि क़ुरआन की बुनियाद पर मुस्लिम यह मानते हैं कि यह कायनात रब के हुक्म 'कुन' शब्द से पैदा हुई है।

वैदिक धर्मी मानते हैं कि यह सृष्टि 'ऊँ' से पैदा हुई है।

बाइबिल कहती है कि 'आदि में शब्द था।' (यूहन्ना1:1)

इससे यह पता चल गया है कि शब्द से सृष्टि हुई है।

मेरे लेख का मक़सद यह नहीं है कि मैं मुस्लिम से ऊँ कहलवाऊं या वैदिक धर्मी से उसकी इच्छा के विपरीत 'कुन' की आयत पढ़वाऊँ।

मेरा मक़सद सिर्फ़ यह है कि भाई जब तुम्हारे पास 'शब्द' का इतना बड़ा ज्ञान है तो तुम इस 'शब्द' से अपने लिए कुछ अच्छा बना लो। कम से कम अपने बिगड़े काम बना लो। अपने हालात बेहतर बना लो।

मुस्लिम 'कुन' से अपने हालात बेहतर बना लें।

वैदिक धर्म वाले 'ऊँ' करके अपनी ज़रूरत की चीज़ पा लें।

बाइबिल वाले 'शब्द' से जो भी समझते हैं, वे उस शब्द से अपनी ज़रूरत पूरी कर लें।

आप अपने धर्म ग्रंथ को पूरा पढ़ते रहे और अपने दीन धर्म की सब रस्में पूरी करते रहे लेकिन जब मुसीबत में फंसे तो उससे निकल न पाए या आत्म हत्या कर बैठे या नास्तिक बन गए तो उस पाठ पूजा से क्या फ़ायदा?

मेरे लेख का मक़सद यही है कि जो आदमी जिस दीन धर्म को मानता है, मैं उसे उसी के दीन धर्म की वह शिक्षा बताऊँ जिससे कष्ट दूर होता है और मौज आती है।

मिसाल के तौर पर मेरी फुप्पो (बुआ) ने मुझसे कहा कि मैं अपना घर इस शहर से बेचकर देवबंद जाना चाहती हूँ।

मैंने पूछा कि आप अपना यह मकान बेचना क्यों चाहती हैं?

फुप्पो ने कहा कि मैं मकान नहीं बेचूंगी तो देवबंद में प्लाट कैसे ख़रीदूंगी?

मैं कहा-बस ऐसे ही। (Likewise, Kazaliki देखें पवित्र क़ुरआन 3:46)

मैंने और ज़्यादा समझाते हुए कहा कि हक़ीक़त यह है कि हर चीज़ अल्लाह के हुक्म से उसके क़ुदरती क़ानून (सृष्टि नियम #تکوینی_قانون) के तहत मिलती है‌। आपका यक़ीन है कि मैं प्लाट ख़रीदूंगी तब मुझे मिलेगा तोआपको ख़रीदकर प्लाट मिलेगा लेकिन अगर आप यक़ीन करें कि अल्लाह अपने हुक्म से जैसे चाहेगा, मुझे प्लाट देगा और मेरे पास इन् शा अल्लाह बहुत जल्दी 'इतने गज़' का प्लाट होगा तो आपके पास इन् शा अल्लाह बहुत जल्दी उतने गज़ का एक प्लाट होगा। अल्लाह आपको जैसे प्लाट देना चाहेगा, वह अपने हुक्म 'कुन' से वैसे ही असबाब बना देगा। आपको ख़रीदकर मिलेगा तो वह आपको उतना रूपया देगा और अगर वह किसी दूसरे तरीक़े से आपको प्लाट देना चाहेगा तो वह आपके लिए ख़ुद दूसरे असबाब बनाएगा। आप यह प्लाट मत बेचो। हमारे साथी अपनी चीज़ें नहीं बेचते बल्कि दूसरों की ख़रीदते हैं।

फुप्पो ने कहा कि ठीक है, मैं अपना मकान नहीं बेचूंगी। मैं क्या करूँ?


मैंने कहा कि अब आप सूरह यासीन की 82वीं आयत पढ़ें और आप अल्लाह से अच्छा गुमान करें। आप यह गुमान करें कि अल्लाह ने आपको प्लाट देने के लिए कुन कह दिया है और रूहानी दुनिया में आपको 'इतने गज़' का प्लाट मिल चुका है। आप ख़ुद को प्लाट का मालिक मानें। अपने दिल में ख़ुद को अपने प्लाट पर खड़ा हुआ देखें।

कुछ दिन बाद उनका बेटा फ़रहान ख़ान देवबंद गया तो फुप्पो के भाई यानी मेरे चाचा ने फ़रहान से कहा कि मैंने अपने दोस्त के साथ एक कालोनी कटवाई थी। उसमें मेरे‌ हिस्से का एक प्लाट पड़ा है। मैं वह प्लाट तुम्हें देना चाहता हूँ।

फ़रहान बोला कि मामू जान अभी मेरे पास रूपए नहीं हैं।

उनके मामू जान बोले- बेटा, रूपए जब हों, तब दे देना। तुमसे रूपए कौन माँग रहा है।

फ़रहान वापस आया और उसने अपनी माँ से पूरा वाक़या बताया।


मेरी फुप्पो ने ख़ुशी से मुझे काल की यह ख़बर मुझे दी कि राजा मियाँ, तुम्हारे कहने के मुताबिक़ मुझे सचमुच देवबंद में एक प्लाट मिल गया है।

बाद में एक अड़चन आई तो उन्होंने मुझसे फिर पूछा कि प्लाट का मालिक बैनामा करने में आनाकानी कर रहा है। अब क्या करें?

मैंने कहा कि आप वही करें जो पहले किया था। आप कुन की आयत पढ़ें और अपने हाथ में बैनामा देखें और ख़ुशी के साथ अल्हम्दुलिल्लाह कहें। रब के देखने से यह कायनात बन गई है तो आपके 'यक़ीन के साथ देखने' से भी वह बनेगा जो आप देखेंगी। जब भी आप नीयत, आयत की तिलावत (पाठ), गुमान  (assumption) और तसव्वुर (imagination) को एलाइनमेंट (alignment) में ले आएंगी तो आप अपनी मुराद पा जाएंगी। कुन की आयत एक ऐसे ब्लैंक चेक की तरह है, जिस पर सिग्नेचर मौजूद हों और बस आपको उसमें अपनी मुराद भरनी बाक़ी हो।

आप जल्दबाज़ी, शक और बुरे वसवसों (कुविचारों) से बचें। सब्र करें, डटी रहें। शुक्र और सब्र से आपको कामयाबी मिलेगी, इन् शा अल्लाह।

मेरी फुप्पो ने ऐसा ही किया और कुछ दिन बाद ही बहुत जल्दी वह अड़चन ख़ुद दूर हो गई और बिना एक रूपया ख़र्च किए मेरी फुप्पो के नाम एक प्लाट का बैनामा हो गया।

अल्हम्दुलिल्लाह!

मज़ेदार बात यह रही कि बैनामे की फ़ीस और स्टाम्प का ख़र्च, जो भी ख़र्च किया मेरे चाचा ने अपनी जेब से किया।

यह रब की देन है। वह जिसे देना चाहे, उसे मिलकर रहता है।

अल्हम्दुलिल्लाह!

कुछ महीनों बाद फ़रहान के पास तिजारत से काफ़ी पैसा आया। उसे रब ने ख़ूब बरकत दी और उसने अपने मामू को जल्दी ही प्लाट की क़ीमत भी अदा कर दी और पुराने पुश्तैनी मकान को भी नई सजावट के टाईल्स, एसी, कार और शानदार फ़र्नीचर से सजा दिया, अल्हम्दुलिल्लाह!

कुन की आयत बाइबिल में भी है। देखें उत्पत्ति अध्याय 1

जो लोग पूरी आयत न पढ़ सकें, वे केवल 'कुन' भी पढ़ेंगे और पूरे क़ायदे को‌ फ़ोलो‌ करेंगे, तब भी उन्हें बरकत मिलेगी और उनकी मुराद पूरी होगी,

इन् शा अल्लाह!

जो वैदिक धर्मी हैं, वे भी कुन पढ़ेंगे तो उनका भी काम होगा। दुनिया की ज़रूरत पूरी करने के लिए धर्म परिवर्तन की ज़रूरत नहीं, पूरे समर्पण के साथ क़ायदे और क़ानून को फ़ोलो करना ज़रूरी है।

मेरा तजुर्बा नहीं है लेकिन मुझे उम्मीद है कि अगर वैदिक धर्मी पूरे समर्पण के साथ क़ायदे और क़ानून को फ़ोलो करते हुए ऊँ का सही उच्चारण करेगा तो रब के सृष्टि नियम के अनुसार उसका भी काम बनेगा।

ऊँ शब्द है। शब्द से सृष्टि है तो इसका उच्चारण सृष्टि नियम के पालन के साथ करें ताकि फल प्राप्त हो। एक शब्द की साधना से सब आसानी से सध जाता है। मेरा मक़सद आपको आसान और नेचुरल तरीक़ा बताना है।

अगर आप चाहेंगे तो मैं आपको 'कुन फ़यकून' की क्रिएशन प्रोसेस घर बैठे सिखा दूंगा, इन् शा अल्लाह!

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