Juma ke din sale karen #mission_mauj_ley

 अल्लाह ने जुमा की नमाज़ का हुक्म देकर आपके लिए #आत्मनिर्भर बनने के मौक़ा का इंतेज़ाम कर दिया है,

 दूसरे फायदों के साथ। देखें:

يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا إِذَا نُودِيَ لِلصَّلَاةِ مِن يَوْمِ الْجُمُعَةِ فَاسْعَوْا إِلَىٰ ذِكْرِ اللَّـهِ وَذَرُوا الْبَيْعَ ۚ ذَٰلِكُمْ خَيْرٌ لَّكُمْ إِن كُنتُمْ تَعْلَمُونَ ﴿٩﴾ فَإِذَا قُضِيَتِ الصَّلَاةُ فَانتَشِرُوا فِي الْأَرْضِ وَابْتَغُوا مِن فَضْلِ اللَّـهِ وَاذْكُرُوا اللَّـهَ كَثِيرًا لَّعَلَّكُمْ تُفْلِحُونَ ﴿١٠﴾

ऐ ईमान लानेवालो, जब जुमा के दिन नमाज़ के लिए पुकारा जाए तो अल्लाह की याद की ओर दौड़ पड़ो और बेचना छोड़ दो। यह तुम्हारे लिए अच्छा है, यदि तुम जानो। फिर जब नमाज़ पूरी हो जाए तो धरती में फैल जाओ और अल्लाह का फ़ज़्ल (रोज़ी) तलाश करो, और अल्लाह को बहुत ज़्यादा याद करते रहो, ताकि तुम फ़लाह (अच्छा फल) पा जाओ।

पवित्र क़ुरआन 62:9-10

अल्लाह ने सबको हुक्म दिया है कि ख़रीद फ़रोख्त रोक कर जुमा की नमाज़ के लिए मस्जिद में एक जगह जमा हो जाएं। इससे सैकड़ों और हज़ारों लोग एक जगह जमा हो जाते हैं, जोकि अच्छे फल के तलबगार हैं।


फिर अल्लाह ने हुक्म दिया है कि नमाज़ पूरी करने के बाद ज़मीन में फैल जाओ और अल्लाह का फ़ज़्ल यानी रोज़ी तलाश करो।


इन दो आयतों में आपके आत्म निर्भर बनने का पूरा इंतेज़ाम है। जैसे कि दूसरी आयत में अल्लाह ने यह हुक्म नहीं दिया कि मस्जिद से सबसे पहले कौन निकले और सबसे आख़िर में कौन निकले और मस्जिद से कितनी दूर पर रोज़ी तलाश करे। इस तरह की कोई पाबंदी नहीं है। जिससे आपका आत्मनिर्भर बनना आसान हुआ है।


1.आप जुमा की नमाज़ के लिए जाएं तो अपने साथ दो बैग भरकर अंजीर, ज़ैतून, खजूर जैसे फल, शहद और हर्बल मेडिसिन जैसे कि एलोवेरा और सिरका जैसे मस्नून फ़ूड लेकर जाएं और दरवाज़े के पास की सफ़ में नमाज़ अदा करें। फ़र्ज़ नमाज़ अदा करके सबसे पहले निकलकर दरवाज़े पर खड़े हो जाएं ताकि नमाज़ी आपसे अच्छे फल पा जाएं। उन्हें आपसे अच्छी चीज़ें मिलें, जिनमें शिफ़ा है।

आपकी चीज़ की क्वालिटी अच्छी हुई और क़ीमत बाज़ार से कम हुई तो आप पूरे हफ़्ते की रोज़ी आधा घंटे में कमा लेंगे, इन् शा अल्लाह!

जब आप सेल पूरी कर लें और सब ख़रीदार चले जाएं, तब आप नमाज़ की बाक़ी सुन्नतें और नफ़िल आराम से पढ़ लें। आपका दिल नमाज़ में अच्छी तरह लगेगा और आप दिल से रब का शुक्र करेंगे।


2. जुमा की नमाज़ हफ़्ते में एक दिन होती है। अगर आप अल्लाह के हुक्म पर अमल करें और सोच विचार से काम लें तो आप जुमा के दिन जैसी आमदनी आम दिनों में भी कर सकते हैं और रब की मदद से पूरी मौज ले सकते हैं।

देखें:

“इनसे कहो, ‘‘धरती और आकाशों में जो कुछ है उसे आंखें खोलकर देखो।”

(क़ुरआन, 10:101)

“तो क्या ये नहीं देखते?’’ (क़ुरआन, 88:17)

“क्या इन्होंने कभी नहीं देखा?’’ (क़ुरआन, 6:50)

क़ुरआन में अल्लाह ने दस से ज़्यादा बार फ़रमाया है—

“क्या तुम सोच-विचार नहीं करते?’’ (क़ुरआन, 6:50)

जब मैंने अल्लाह के हुक्म पर ख़ास तवज्जो से शुऊर (जागरूकता) के साथ मस्जिदों और नमाज़ियों को देखा तो मैंने पाया कि जिन क़स्बों में कचहरी है, उन क़स्बों में कचहरी के पास वाली मस्जिद में ज़ुहर की नमाज़ में रोज़ाना जुमा की नमाज़ जैसी तादाद में लोग जमा होते हैं। ज़िले की कचहरी के पास वाली मस्जिद भी ज़ुहर की नमाज़ में रोज़ भर जाती है। आप रोज़ कचहरी की मस्जिद के बाहर अच्छे फल और हलाल फ़ूड बेचकर अल्लाह का फ़ज़्ल पा सकते हैं।

मैंने मिसाल के तौर पर ये 2 पॉइंट्स लिख दिए हैं। इसी तरह जब आप आत्मनिर्भर बनने की नीयत से क़ुरआन मजीद पढ़ेंगे तो अल्लाह आपको आपकी नीयत के मुताबिक़ हिदायत देगा। रब का तक्वीनी निज़ाम यह है कि आमाल नीयत के ताबे (अधीन) हैं।

तक्वीनी निज़ाम वह सिस्टम है, जिस पर यह पूरा यूनिवर्स चलता है और जिससे सूरज से लेकर हर ज़र्रा तक पलता है। जिससे हर आदमी पलता है।

नमाज़ का निज़ाम आपकी रोज़ी और आपकी परवरिश आसान बनाता है। इसलिए ख़ुद नमाज़ पढ़ें और जो बेनमाज़ी हाथ लगे, उसे भी साथ लेकर मस्जिद जाएं। 

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